बोरसी की आग बनी मौत की बिसात, एक कमरे में सो रहे तीन लोगों की दम घुटने से रुकी सांसें, इलाका मातम के आगोश में
ठंड से बचने के लिए जलायी गई बोरसी ने शरीर को गर्मी तो अवश्य ही दी होगी. लेकिन उस गर्म वातावरण में सोते हुए उसी बोरसी के कारण तीन जिंदगियां मौत के आगोश में चली जाएंगी ये किसी ने नहीं सोचा होगा! नानी के साथ छोटे-छोटे मासूम बच्चों की भी सांसें थम गई. पूरे इलाके में माकम पसरा हुआ है.

BIHAR (GAYA): कुर्किहार महादलित टोला में बुधवार सुबह दिल दहला देने वाली घटना हुई. एक ही कमरे में बोरसी जलाकर सोना तीन जिंदगियों पर भारी पड़ गया. 60 वर्षीय मीना देवी, उनके 5 वर्षीय नाती सुजीत कुमार और 6 वर्षीय नातिन अंशी कुमारी की मौत हो गई. सुबह जब बेटी काजल देवी नींद से उठीं और मां को जगाने पहुंचीं, तो सामने खौफनाक मंजर मौत के रूप में पड़ा था. मां और दोनों बच्चे मृत पड़े थे.
आग तपाना बना मौत की दावत
बताया जाता है कि ठंड से बचने के लिए रात में कमरे के भीतर बोरसी जलाई गई थी. दरवाजा और खिड़की सभी बंद थे. आशंका है कि दम घुटने से तीनों की जान चली गई. घटना की खबर फैलते ही टोले में अफरातफरी मच गई. आनन-फानन में स्थानीय चिकित्सक को गांव में बुलाया गया. जांच के बाद डॉक्टर ने तीनों को मृत घोषित कर दिया.
बुजुर्ग महिला पति की गैरमौजूदगी में संभाल रही थी परिवार
मीणा देवी अपने पति गांगो मांझी की गैरमौजूदगी में घर संभाल रही थीं. गांगो मांझी के दो बेटे हैं - जितेंद्र मांझी और बालम मांझी. दोनों रोजी-रोटी के लिए बाहर ईंट भट्ठों पर काम करते हैं. एक दाऊदनगर तो दूसरा फैजाबाद में है. पूरा परिवार मजदूरी पर निर्भर है. इसी वजह से घर में बुजुर्ग मीणा देवी, उनकी शादीशुदा बेटी काजल देवी और उसके दो छोटे बच्चे के साथ ही रह रहे थे.
कुछ दिनों पहले आयी थी मायके
बताया जाता है कि काजल देवी दो माह पहले ही बच्चों के साथ मायके आई थीं. उनका ससुराल फतेहपुर प्रखंड के बंधुआ स्टेशन के पास अमरपुर दलित टोला में है. पति सुर्जेशी मांझी चेन्नई में एक निजी कंपनी में मजदूरी करता है. पति के बाहर रहने के कारण काजल देवी इन दिनों बच्चों के साथ मायके में रह रही थीं.
पूरा टोला मातम के साए में
सुबह की घटना के बाद गांव में कोहराम मच गया. नानी, नाती और नतिनी की एक साथ मौत से हर आंख नम हैं. पूरे टोले में मातम पसरा हुआ है. महिलाएं रो-रोकर बेहाल हैं. परिजन बार-बार यही कह रहे हैं कि ठंड से बचने के लिए जलायी गई बोरसी मौत का कारण बन जाएगी. यह किसी ने नहीं सोचा था.
जागरुकता और संसाधनों की कमी ने ले ली जान
घटना ने एक बार फिर गरीब परिवारों की मजबूरी और ठंड में असुरक्षित साधनों के इस्तेमाल की सच्चाई सामने ला दी है. सूचना मिलने के बाद प्रशासनिक स्तर पर भी हलचल है. गांव में चर्चा यही है कि अगर समय पर जागरूकता और सुरक्षित इंतजाम होते तो शायद तीन जिंदगियां बच सकती थीं.
पहली नहीं है ये घटना
गौरतलब है कि जिले के वजीरगंज थाना क्षेत्र के दखिनगांव में इसी माह 21 दिसंबर की रात ठंड से बचने के लिए जलाई गई बोरसी जानलेवा साबित हो गई थी. कमरे में फैले धुएं से दम घुटने के कारण 85 वर्षीय वृद्ध महिला और 4 महीने की बच्ची की मौत हो गई थी. वहीं बच्ची की मां रेखा मालाकार की हालत बिगड़ गई थी. परिजनों ने आनन-फानन में उसे अस्पताल में भर्ती कराया था. फिलहाल वह स्वस्थ्य है.









