फीका पड़ सकता है नया साल का जश्न, हड़ताल पर हैं गिग वर्कर्स
नया साल बस चंद घंटे ही दूर है. लोग ऑनलाइन फूड या अन्य रोजमर्रा की आवश्यक चीजें ऑर्डर करेंगे. ऐसे में जब सारे डिलीवरी पार्टनर्स की हड़ताल चल रही है, तो शायद ग्राहकों को कुछ परेशानी का सामना भी करना पड़ सकता है. आइए जानने का प्रयास करें कि ये अपनी किन मांगों को लेकर स्ट्राइक पर हैं!

NEW DELHI: जब दुनिया नए साल के स्वागत की तैयारियां कर रही है, भारत में भी ऑनलाइन शॉपिंग जमकर करते हैं लोग, इस दौरान हो सकता है ऑनलाइन शॉपिंग में थोड़ी असुविधा का सामना करना पड़े. कारण है डिलीवरी पार्टनर्स, जिन्हें गिग वर्कर्स कहा जाता है, का हड़ताल पर जाना.
न्यू ईयर ईव से पहले स्विगी, जोमैटो, अमेजन, फ्लिपकार्ट समेत सभी डिलीवरी वर्कर्स ने राष्ट्रव्यापी हड़ताल की घोषणा कर दी है. ऐसे में नए साल की पार्टी में खाना ऑर्डर करने से लेकर ऑनलाइन डिलीवरी में परेशानी का सामना करना पड़ सकता है.
देश के कई बड़े शहरों पर रहेगा असर
तेलंगाना गिग एंड प्लेटफॉर्म वर्कर्स यूनियन और इंडियन फेडरेशन ऑफ ऐप बेस्ट ट्रांसपोर्ट वर्कर्स के नेतृत्व में यह हड़ताल चल रही है. इसका असर दिल्ली, मुंबई, पुणे, कोलकाता और हैदराबाद जैसे बड़े शहरों में देखने को मिल सकता है. इसके अलावा लखनऊ, अहमदाबाद, जयपुर, इंदौर और पटना जैसे टियर टू शहरों की डिलीवरी भी प्रभावित हो सकती है.
हड़ताल पर हैं 1 लाख से अधिक वर्कर्स
महाराष्ट्र, कर्नाटक, दिल्ली एनसीआर, पश्चिम बंगाल और तमिलनाडु के क्षेत्रीय यूनियन्स ने भी इस हड़ताल में हिस्सा लिया है. इनका दावा है कि आज देशभर में 1 लाख से ज्यादा डिलीवरी वर्कर्स ऐप पर लॉनइन नहीं करेंगे या फिर कम समय के लिए ही एक्टिव रहेंगे.
क्या हैं हड़ताल के कारण?
बता दें कि इससे पहले क्रिसमस वाले दिन भी सभी वर्कर्स की हड़ताल देखने को मिली थी. यूनियन का कहना है कि गिग वर्कर्स की मांग में इजाफे के बावजूद उनकी कार्यशैली में बदलाव नहीं हो रहा है. कंपनियां न तो उन्हें ठीक से वेतन देती हैं और न ही सुरक्षा की गारंटी मिलती है. डिलीवरी वर्कर्स की खराब स्थिति को लेकर यह हड़ताल रखी गई है.
10 मिनट में डिलीवरी मॉडल के कारण सड़क पर गिग वर्कर्स हादसों का शिकार हो जाते हैं. धूप, गर्मी, ठंड और बरसात में दिन-रात डिलीवरी करने के बावजूद इन्हें कंपनियों की तरफ से दुर्घटना बीमा, स्वास्थ्य बीमा और पेंशन जैसी सुविधाएं नहीं मिलती हैं.
क्या हैं प्रमुख मांगें?
- वर्कर्स की ओर से जारी बयान में 9 प्रमुख मांगें शामिल हैं:
- फेयर और ट्रांसपेरेंट वेतन स्ट्रक्चर लागू किया जाए.
- 10 मिनट डिलीवरी मॉडल को तुरंत बंद किया जाए.
- बिना प्रक्रिया के आईडी ब्लॉक और पेनल्टी पर रोक लगे.
- सुरक्षा के लिए जरूरी गियर और उपाय दिए जाएं.
- एल्गोरिदम के आधार पर भेदभाव न हो; सभी को बराबर काम मिले.
- प्लेटफॉर्म और कस्टमर्स से सम्मानजनक व्यवहार मिले.
- काम के दौरान ब्रेक और तय समय से अधिक काम न कराया जाए.
- एप और तकनीकी सपोर्ट मजबूत हो, खासकर पेमेंट और रूटिंग की समस्याओं के लिए.
- स्वास्थ्य बीमा, दुर्घटना कवर और पेंशन जैसी सामाजिक सुरक्षाएं सुनिश्चित की जाएं.









