डिजिटल अरेस्ट मामलों पर सुप्रीम कोर्ट सख्त: सभी राज्यों को नोटिस, जांच सीबीआई को सौंपने पर विचार
सुप्रीम कोर्ट ने Suo Moto (स्वत: संज्ञान) लेते हए डिजिटल अरेस्ट के मुद्दे पर प्रकाश डाला है. सोमवार को सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को नोटिस जारी किया है. इन मामलों की जांच केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) को सौंपी जा सकती है.

Naxatra News
Delhi :
सुप्रीम कोर्ट ने लिया स्वतः संज्ञान
सुप्रीम कोर्ट ने देशभर में तेजी से फैल रहे “डिजिटल अरेस्ट घोटालों” पर स्वतः संज्ञान लेते हुए सोमवार को सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को नोटिस जारी किया है. यह मामला तब सामने आया जब हरियाणा के एक वरिष्ठ नागरिक दंपत्ति ने अदालत को पत्र लिखकर अपने साथ हुए साइबर धोखाधड़ी की शिकायत की. उन्होंने बताया कि ठगों ने नकली अदालत आदेश और पुलिस अधिकारियों की पहचान का दुरुपयोग कर उनसे पैसे ऐंठे.
न्यायमूर्ति सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाल्या बागची की सख्त टिप्पणी
न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति जॉयमाल्या बागची की पीठ ने सुनवाई के दौरान इस बढ़ते साइबर अपराध पर गंभीर चिंता जताई. अदालत ने संकेत दिया कि इन मामलों की जांच केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) को सौंपी जा सकती है.
न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने कहा, “देश के विभिन्न हिस्सों में ऐसे कई मामले सामने आ रहे हैं. यह अपराध राष्ट्रीय या अंतरराष्ट्रीय स्तर पर फैला हुआ प्रतीत होता है. इसलिए इसे सीबीआई के सुपुर्द करना उपयुक्त होगा.”
विदेशों में बैठे हैं ठगी के सरगना
भारत के महान्यायवादी आर. वेंकटरमणी ने अदालत को बताया कि इन साइबर घोटालों के पीछे मनी लॉन्ड्रिंग नेटवर्क काम कर रहे हैं, जिनका संचालन भारत के बाहर से किया जाता है. उन्होंने कहा कि “ऐसे गिरोह एशिया के कई हिस्सों में सक्रिय हैं, विशेष रूप से म्यांमार और थाईलैंड में.”
केंद्र सरकार की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने बताया कि सीबीआई पहले से ही कुछ समान मामलों की जांच कर रही है. उन्होंने कहा कि “इन ठगी नेटवर्क में तीन मानवीय स्तंभ हैं, कुछ लोगों को रोजगार के बहाने विदेश भेजा जाता है, जहां उनसे ऑनलाइन धोखाधड़ी के जरिए पैसा वसूलने को मजबूर किया जाता है. उनके पासपोर्ट जब्त कर लिए जाते हैं और वे दास बना लिए जाते हैं.”
अंतरराष्ट्रीय स्तर का अपराध
न्यायमूर्ति बागची ने इन मामलों को “अंतरराष्ट्रीय मुद्दा” करार देते हुए कहा कि हाल ही में म्यांमार में ऐसे साइबर गिरोहों पर कार्रवाई की गई है. न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने केंद्र और सीबीआई से पूछा कि क्या उनके पास इतनी संख्या में मामलों को संभालने के लिए पर्याप्त मानव संसाधन और तकनीकी क्षमता है.
इस पर मेहता ने बताया कि सीबीआई को गृह मंत्रालय की साइबर क्राइम डिवीजन से तकनीकी सहायता मिल रही है.
सभी राज्यों से मांगी गई रिपोर्ट
सुनवाई के अंत में अदालत ने सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को निर्देश दिया कि वे अपने-अपने क्षेत्रों में दर्ज ऐसे मामलों की जानकारी सुप्रीम कोर्ट को दें. अदालत ने कहा कि अगली सुनवाई में इन रिपोर्टों की समीक्षा की जाएगी.









