म्यांमार में साइबर गुलामी के शिकार हुए 6 लोगों से पूछताछ, गयाजी के युवक ने बताई झकझोर देने वाली आपबीती
म्यांमार में साइबर गुलामी के शिकार हुए बिहार के 6 लोगों से आज पूछताछ की गई. जिसमें गयाजी के रहने वाले एक युवक ने पूरी आपबीती सुनाई है. जो आपके दिल को झकझोर देगी.

Patna: पड़ोसी देश म्यांमार में साइबर गुलामी कर रहे 360 भारतीयों को पिछले दिनों मुक्त कराकर वापस लाया गया. इसमें 6 लोग बिहार के रहने वाले है. बता दें, इन सभी नागरिकों को ऑनलाइन धोखाधड़ी और साइबर क्राइम जैसे अवैध कामों में धकेल दिया गया था. जिन्हें भारत सरकार और गैर सरकारी संगठनों के अथक प्रयास से भारत वापस लाने में सफलता मिली है.
रिपोर्ट्स के अनुसार, मयवादी के KK पार्क से म्यांमार आर्मी द्वारा इन्हें मुक्त कराकर थाईलैंड लाया गया था जिसके बाद सभी को 18 नवंबर 2025 को नई दिल्ली लाया गया. बिहार के 6 लोगों को बिहार पुलिस और आर्थिक अपराध इकाई (EOU) की टीम बीते शुक्रवार (21 नवंबर 2025) को ही नई दिल्ली से पटना लेकर आ चुकी है. आज सोमवार (24 नवंबर 2025) को इन सभी से पूछताछ की जा रही है. जिसमें उन्होंने अपनी आपबीती सुनाई. पूछताछ के बाद सभी को उनके परिजनों को सौंप दिया जाएगा.
साइबर गुलामी से मुक्त कराकर लाए गए बिहार के लोगों में सिवान के बड़हरिया के साकेत सौरभ, गयाजी के डेल्हा के धर्मेन्द्र कुमार, सिवान के जीबी नगर निवासी नीरज कुमार, मुंगेर के तारापुर के रहने वाले मो. अशद फारूखी, भागलपुर के लोदीपुर निवासी मो. तनवीर आलम और सीतामढ़ी के बेलसंड के अरविंद चौधरी के नाम शामिल हैं.
गयाजी के डेल्हा निवासी धर्मेंद्र कुमार एक एजेंट के जरिए साइबर गुलामी के चंगुल में फंस गया. नौकरी की तलाश में वह एजेंट के माध्यम थाईलैंड पहुंचा और उसे वहां से म्यांमार ले जाया गया. जहां साइबर गुलामी का वह शिकार बन गया. लेकिन समय रहते म्यांमार के आर्मी द्वारा सभी को मुक्त कराया गया.
म्यांमार से गयाजी पहुंचकर धर्मेंद्र ने सुनाई आपबीती
धर्मेंद्र ने जो आपबीती बताई वह झकझोर देने वाला था. उन्होंने बताया कि मुझे यकीन नहीं था कि मैं बच पाऊंगा लेकिन हमारे इंडियन अंबेशी और म्यांमार आर्मी के द्वारा हमें वहां से मुक्त कराया गया, वहां और भी कई लोगों को म्यांमार आर्मी और पुलिस के द्वारा लोगों को मुक्त कराकर अपने पास रखे हुए थे जिसमें भारतीयों के अलावा कई विदेशी युवक भी थे जिसे गुमराह करके साइबर गुलामी कराए जाने की शंका थी.
गयाजी के डेल्हा के रहने वाले धर्मेंद्र कुमार बताते हैं कि मैं पुणे में कई कंपनियों में काम किया था लेकिन नौकरी छूट जाने के बाद मुझे जॉब की तलाश थी, मुझे अपने एक दोस्त से मुजफ्फरपुर के रहने वाले शुभम कुमार के बारे में जानकारी दी गई जब शुभम से बात किया गया था उन्होंने थाईलैंड में एक चाइनीस जॉब होने की बात कही थी जिसको लेकर कई बार हाईलेवल ऑनलाइन और वीडियो कॉलिंग इंटरव्यू भी हुआ.
शुभम ने बताया कि अंतिम इंटरव्यू थाईलैंड में होगी. जिसको लेकर 19 अक्तूबर को एक टिकट बनवाया गया. जिससे पटना से कोलकाता और बैंकॉक पहुंच गए. 20 तारीख को वहां एक ड्राइवर ने पिक किया और फाइव स्टार होटल में ले गया. वहां भी एक इंटरव्यू किया गया, फिर दूसरा ड्राइवर आया और उसे अपने चमचमाती गाड़ी से ले जाया गया, कुछ दूर चलने के बाद देखा कि पहाड़ी रास्ते और दलदल के रास्ते मुझे ले जाया गया और वहां पर हम लोगों को किडनैप कर लिया गया और गन पॉइंट से काफी दूर तक पैदल भी चलाया गया.
कई बाइकर्स पहाड़ी पर चलने वाला बाइक को रखे हुए थे, सभी देखने में विदेशी लगते थे काफी घंटा चलने के बाद मुझे एक गेस्ट हाउस में रखा गया और तीन दिनों तक वहां बंद कर दिया गया, बाद में पता चला कि मैं म्यांमार में पहुंच गया हूं भूखे प्यासे हम लोगों को रखा गया, हम लोग करीब 4 से 5 लोग थे. फिर अचानक वहां म्यांमार आर्मी और पुलिस के द्वारा छापामारी किया गया. जहां हम लोगों को छुड़ाया गया और फिर म्यांमार आर्मी के द्वारा हमें अपने साथ रखा गया. वहां देखा कि पहले से ही कई लोगों को छुड़ा कर रखा गया है, हम लोगों को इंडियन एंबेसी की मदद से फिर म्यांमार से थाईलैंड और दिल्ली लाया गया और दिल्ली से आर्थिक अपराध इकाई के द्वारा पटना लाया, जहां से हम लोगों को पूछताछ के बाद अपने घर पहुंचा दिया गया.









