रोमन कैथोलिक ईसाई आज पूरे विश्व में मना रहा All Souls Day
आज पूरे विश्व में रोमन कैथोलिक ईसाई समुदाय के लोग कब्र पर्व मना रहे है. आज के दिन समुदाय के लोग परिवार के पूर्वज और दिवंगत प्रियजनों को याद करते हैं और उनकी आत्मी की शांति के लिए विशेष प्रार्थना करते हैं. चर्च में विशेष प्रार्थना होने के बाद और शाम को वे कब्र के पास जमा होते है प्रार्थना करते हैं.

All Souls Day: रोमन कैथोलिक ईसाई आज पूरे विश्व में ऑल सोल्स डे (All Souls Day) यानी कि कब्र पर्व मना रहा है. इस दिन वे अपने पूर्वजों और दिवंगत प्रियजनों को याद करते हैं और उनकी आत्माओं की शांति के लिए विशेष प्रार्थना करते हैं. ऑल सोल्स डे के अवसर पर आज (2 नवंबर 2025) सुबह सभी कैथोलिक चर्च में विशेष प्रार्थना की गई. जिसमें मसीही विश्वासियों ने अपने पूर्वजों और परिवार के दिवंगत सभी आत्माओं को याद किया और उनके लिए प्रार्थना की.
अपने पूर्वजों और दिवंगत प्रियजनों के लिए करते है प्रार्थना
कब्र पर्व (All Souls Day) के दिन सुबह चर्च में विशेष प्रार्थना होने के बाद सभी कैथोलिक मसीही विश्वासी अपने प्रियजनों के कब्र के पास जमा होते हैं और उनकी आत्मा की अनंत शांति के लिए ईश्वर से विशेष प्रार्थना करते हुए उन्हें याद करते हैं. साथ ही उनकी क्रब पर मोमबत्तियां जलाते है और फूल-माला चढ़ाते हैं. कई जगहों पर शाम को विश्वासी अपने पूर्वजों और दिवंगत प्रियजनों के कब्र के पास जमा होंगे और प्रार्थना करते हुए उन्हें याद करेंगे.
हर साल 2 नवंबर को मनाया जाता है कब्र पर्व
यह दिन रोमन कैथोलिक ईसाईयों के लिए एक खास दिन होता है. इसे ऑल सोल्स डे के नाम से भी जाना जाता है यह प्रतिवर्ष 2 नवंबर को मनाया जाता है इसके एक दिन पहले 1 नवंबर को समुदाय के लोग All Saints Day (संतों का पर्व) यानी इस दिन को वे सभी संतों का दिन के रूप में मनाते हैं. कब्र पर्व के दिन रोमन कैथेलिक मसीही समुदाय के लोग अपने पूर्वजों और दिवंगत प्रियजनों को याद करते हैं और उन्हें स्वर्ग में ईश्वर के शरण में स्थान मिलें इसके लिए विशेष प्रार्थना करते हैं.
जानें All Souls Day का इतिहास
आपको बता दें, सबसे पहले फ्रांस में 998 ई. में All Souls Day मनाया गया था. इसके पश्चात यह परंपरा पूरे ईसाई जगत में फैली. इसकी शुरुआत सबसे पहले क्लूनी के संत ओडिलो ने मृतकों की आत्माओं की स्मृति और शांति के लिए की थी. धीरे-धीरे उनकी पहल पूरे पश्चिमी चर्च द्वारा अपनाई गई और समय के साथ यह परंपरा पूरे यूरोप में फैल गई. और यह परंपरा देखते ही देखते अब पूरे विश्व में रोमन कैथोलिक ईसाई समुदाय की सबसे महत्वपूर्ण धार्मिक परंपराओं में से एक बन गई, जिसे आज वे अपने पूर्वजों और दिवंगत प्रियजनों की आत्माओं की शांति के लिए मनाते हैं.









