रांची विश्वविद्यालय ने रचा इतिहास, राष्ट्रपति पुरस्कार के लिए चयनित हुआ यूनिवर्सिटी के दो छात्रों का नाम
RU के एनएसएस (राष्ट्रीय सेवा योजना) इकाई के दो स्वयंसेवक डोरंडा कॉलेज के दिवाकर आनंद और रांची वीमेंस कॉलेज की दीक्षा कुमारी को उनकी समाजसेवा, तृत्व क्षमता, राष्ट्रीय योगदान और सेवा भावना को देखते हुए केंद्र सरकार ने सम्मान देने का निर्णय किया है.

यशवंत / Naxatra News Hindi
Ranchi Desk:रांची विश्वविद्यालय ने एक बार फिर से इतिहास रच दिया है दरअसल, समाजसेवा की राह में जुटे युवाओं को जब राष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिलती है तो यह पूरे राज्य के लिए गर्व का विषय बन जाता है कुछ ऐसा ही काम किया है रांची यूनिवर्सिटी के दो छात्रों ने जिनका नाम अब राष्ट्रपति पुरस्कार के लिए चयनित किया गया है. यह पहली बार है जब RU (रांची यूनिवर्सिटी) के दो स्वयंसेवकों का चयन राष्ट्रपति पुरस्कार के लिए किया गया है.
RU के एनएसएस (राष्ट्रीय सेवा योजना) इकाई के दो स्वयंसेवक डोरंडा कॉलेज के दिवाकर आनंद और रांची वीमेंस कॉलेज की दीक्षा कुमारी को उनकी समाजसेवा, तृत्व क्षमता, राष्ट्रीय योगदान और सेवा भावना को देखते हुए केंद्र सरकार ने सम्मान देने का निर्णय किया है. इसके अलावे देशभर से चयनित 30 अन्य स्वयंसेवकों को भी इस उच्च सम्मान से सम्मानित किया जाएगा.
बता दें, डोरंडा कॉलेज के छात्र दिवाकर आनंद ने राष्ट्रीय सेवा योजना के तहत ग्रामीण साक्षरता अभियान, पर्यावरण, नशामुक्ति,स्वास्थ्य जागरुकता रैली, रक्तदान शिविर और सामाजिक समरसता के अनेक गतिविधियों में अपना उल्लेखनीय योगदान दिया है. दिवाकर पिछले लंबे समय से ग्रामीण इलाकों में शिक्षा, पर्यावरण और स्वास्थ्य जागरूकता से जुड़े अभियानों में सक्रिय हैं वे रक्तदान शिविर, सफाई अभियान और गरीब बच्चों को पढ़ाने जैसी गतिविधियों से समाज की तस्वीर बदलने का प्रयास कर रहे हैं.
जबकि, रांची वीमेंस कॉलेज की छात्रा दीक्षा कुमारी ने महिला सशक्त करण और स्वास्थ्य अभियान में अहम भूमिका निभाई है ग्रामीण महिलाओं को स्वच्छता और शिक्षा के महत्व से जोड़ना हो या राष्ट्रीय शिविरों में नेतृत्व क्षमता का प्रदर्शन दीक्षा हमेशा आगे रही हैं.
पूरे झारखंड का नाम किया रोशन- कुलपति
दिवाकर आनंद और दीक्षा कुमारी दोनों छात्रों की उपलब्धि पर रांची विश्वविद्यालय परिवार भी बेहद गर्व महसूस कर रहा है कुलपति और एनएसएस समन्वयक ब्रजेश कुमार का कहना है कि दिवाकर और दीक्षा ने न सिर्फ विश्वविद्यालय बल्कि पूरे झारखंड का नाम रोशन किया है.दिवाकर और दीक्षा की यह उपलब्धि न सिर्फ उनके लिए बल्कि पूरे राज्य के युवाओं के लिए प्रेरणा है उम्मीद है कि उनकी राह पर चलकर और भी युवा समाजसेवा और नेतृत्व की नई मिसाल कायम करेंगे.









