खोरठा दिवस बना संघर्ष और सम्मान का मंच, श्रीनिवास पानुरी की 105वीं जयंती पर गूंजा भाषा स्वाभिमान
रांची में खोरठा महान कवि श्रीनिवास पानुरी की 105वीं जयंती पर खोरठा दिवस सह सम्मान समारोह आयोजित हुआ. कार्यक्रम में साहित्यकारों को सम्मानित किया गया, पुस्तकों का लोकार्पण हुआ और खोरठा भाषा को आठवीं अनुसूची में शामिल करने की मांग उठी.

JHARKHAND (RANCHI): खोरठा भाषा के महान कवि श्रीनिवास पानुरी की 105वीं जयंती रांची में धूमधाम से मनाई गई. यह भव्य आयोजन VISWA Training Centre, DWSD (यूनिसेफ ऑफिस कैंपस), कांके रोड, रांची में किया गया. कार्यक्रम का संयुक्त आयोजन खोरठा साहित्य-संस्कृति परिषद एवं खोरठा विभाग, रांची विश्वविद्यालय द्वारा किया गया.

समारोह की शुरुआत महान कवियों की तस्वीरों के सामने दीप प्रज्वलन व पुष्पांजलि अर्पित कर की गई. इसके पश्चात खोरठा के पुरखों को स्मरण करते हुए दो मिनट का मौन रखकर श्रद्धांजलि दी गई. कार्यक्रम के सभागार को स्मृतिशेष विश्वनाथ प्रसाद नागर के नाम से समर्पित किया गया.
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि झारखंड सरकार के मंत्री माननीय योगेन्द्र प्रसाद रहे. विशिष्ट अतिथियों में कपिल कुमार (झारखंड प्रशासनिक सेवा), वरिष्ठ अधिवक्ता रश्मि कात्यायन, एस.एन. राठौर, तितकी के संपादक शांति भारत, लूआठी के संपादक गिरधारी गोस्वामी आकाशखूंटी सहित कई गणमान्य व्यक्तित्व उपस्थित रहे.
इस अवसर पर खोरठा भाषा, साहित्य और संस्कृति में उत्कृष्ट योगदान के लिए विभिन्न सम्मान प्रदान किए गए. श्रीनिवास पानुरी स्मृति साहित्य सम्मान से डॉ. बी.एन. ओहदार, खोरठा सेवा सम्मान से डॉ. कुमारी शशि, खोरठा कला-संस्कृति रत्न से राम किशुन सोनार तथा खोरठा करील-पोहा पुरस्कार से डॉ. संदीप कुमार महतो को सम्मानित किया गया.
समारोह में खोरठा भाषा की सात नई पुस्तकों का लोकार्पण भी किया गया. सांस्कृतिक कार्यक्रमों के अंतर्गत बासुबिहारी महतो और रामकिशुन सोनार के गीतों से वहां उपस्थित जनसमूह मंत्रमुग्ध हो गया.
अपने संबोधन में मंत्री योगेन्द्र प्रसाद ने कहा कि खोरठा भाषा का स्कूल से विश्वविद्यालय स्तर तक पढ़ाया जाना लंबे संघर्ष का परिणाम है और इसके विकास के लिए निरंतर प्रयास आवश्यक हैं. वक्ताओं ने एक स्वर में खोरठा भाषा को भारतीय संविधान की 8वीं अनुसूची में शामिल करने की मांग दोहराई. समारोह का समापन धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ.









