झारखंड में भी चक्रवाती तूफान मोंथा का व्यापक असर, राजधानी रांची में जोरदार बारिश
चक्रवाती तूफान मोंथा का व्यापक असर झारखंड में भी दिखने लगा है.बीते मंगलवार दोपहर के बाद से ही राजधानी रांची में जोरदार बारिश का शुरू हो गई है. रांची में झमाझम बारिश सो स्कूली बच्चों को काफी परेशान हो रही है. मौसम विभाग के अनुसार बंगाल की खाड़ी में बने चक्रवात के प्रभाव के कारण 31 अक्टूबर तक इसका प्रभाव देखने मिलेगा.

NAXATRA NEWS
RANCHI: चक्रवाती तूफान मोंथा का व्यापक असर झारखंड में भी दिखने लगा है.बीते मंगलवार दोपहर के बाद से ही राजधानी रांची में जोरदार बारिश का शुरू हो गई है. रांची में झमाझम बारिश से स्कूली बच्चे समेत लोगों को काफी परेशान हो रही है. मौसम विभाग के अनुसार बंगाल की खाड़ी में बने चक्रवात के प्रभाव के कारण 31 अक्टूबर तक इसका प्रभाव देखने मिलेगा. वहीं मौसम विभाग ने चेतावनी जारी करते हुए बताया है कि सिमडेगा, पश्चिमी सिंहभूम, खूंटी और गुमला के कुछ हिस्सों में मंगलवार को भारी बारिश होने की संभावना है, जबकि बुधवार को चतरा, गढ़वा, लातेहार और पलामू के कुछ हिस्सों में बहुत भारी बारिश हो सकती है. उन्होंने कहा कि 30 और 31 अक्टूबर को गिरिडीह, कोडरमा, लोहरदगा, बोकारो, रामगढ़, हजारीबाग, रांची, खूंटी, गुमला, दुमका, गोड्डा, पाकुड़ और साहिबगंज के कुछ हिस्सों में भी भारी बारिश की आशंका है.
अन्य राज्यों में भी अलर्ट
यह गंभीर चक्रवाती तूफान आंध्र प्रदेश के काकीनाडा तट से ज़मीन से टकराया, जिसके बाद इसकी तेज़ हवाओं और मूसलाधार बारिश ने आंध्र प्रदेश से लेकर ओडिशा, तेलंगाना, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, बिहार, झारखंड और उत्तर प्रदेश तक जनजीवन अस्त-व्यस्त कर दिया.
आईएमडी के मुताबिक, मोंथा मंगलवार शाम काकीनाडा के पास मछिलीपट्टनम और कालींगपट्टनम के बीच तट से टकराया. उस वक्त हवा की रफ्तार 90 से 100 किलोमीटर प्रति घंटा थी, जो कुछ ही घंटों में 110 किलोमीटर प्रति घंटा तक पहुंच गई. समुद्र में उफान इतना तेज़ था कि तटीय गांवों में ऊंची लहरें उठीं, कई पेड़ और बिजली के खंभे जड़ से उखड़ गए. कई इलाकों में बिजली आपूर्ति ठप पड़ गई है.
एक की मौत, कई घायल
आंध्र प्रदेश के कोनसीमा ज़िले में तेज़ हवाओं के बीच एक बड़ा पेड़ गिरने से एक बुजुर्ग महिला की मौत हो गई. इसी ज़िले में नारियल के पेड़ गिरने से एक किशोर और एक ऑटो चालक घायल हुए हैं. प्रशासन ने राहत एवं बचाव दलों को प्रभावित क्षेत्रों में तैनात कर दिया है.
नाम तो फूलों जैसा, पर बरसाया विनाश
मौसम विभाग ने बताया कि “मोंथा” नाम थाई भाषा से लिया गया है, जिसका अर्थ होता है—“खुशबूदार फूल.” लेकिन यह तूफान अपने नाम के अर्थ के ठीक उलट, विनाश की गंध फैलाकर चला गया.
ओडिशा में बिगड़ा जनजीवन
ओडिशा के करीब 15 जिलों में चक्रवात का व्यापक असर दिखा. भुवनेश्वर, पुरी, गंजाम और केंद्रपाड़ा में पेड़ उखड़ गए, बिजली व्यवस्था ठप रही और कई निचले इलाकों में पानी भर गया. प्रशासन ने तटीय क्षेत्रों में लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाने के लिए विशेष अभियान चलाया है.
अगले 24 घंटे और मुश्किल
आईएमडी ने चेतावनी जारी की है कि चक्रवात अब उत्तर दिशा की ओर बढ़ रहा है और अगले 24 घंटों में इसका असर मध्य और पूर्वी भारत के हिस्सों तक पहुंचेगा. आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, छत्तीसगढ़, सौराष्ट्र-कच्छ और विदर्भ में भारी से अत्यधिक भारी वर्षा की संभावना जताई गई है. बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल, गुजरात, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और गोवा में भी बारिश और तेज़ हवाओं का अलर्ट जारी है.
बिजली और गरज के साथ बारिश की संभावना
मौसम विभाग के अनुसार, छत्तीसगढ़, तेलंगाना, विदर्भ और केरल में 40 से 60 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से हवाएं चल सकती हैं. तटीय कर्नाटक, ओडिशा, झारखंड और पश्चिम बंगाल के किनारों पर हवा की गति 30-40 किलोमीटर प्रति घंटा तक पहुंच सकती है. वहीं, उत्तर आंध्र प्रदेश में हवाओं की रफ्तार 75 किलोमीटर प्रति घंटा तक बढ़ने का अनुमान है.
मछुआरों को समुद्र से दूर रहने की चेतावनी
आईएमडी ने मछुआरों को अगले कुछ दिनों तक समुद्र में न जाने की सख्त हिदायत दी है. कर्नाटक, गोवा, गुजरात, आंध्र, ओडिशा और बंगाल के तटीय इलाकों में समुद्र में ऊंची लहरें उठ रही हैं और पूर्व-मध्य अरब सागर व बंगाल की खाड़ी में 65 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से हवाएं चलने की संभावना बनी हुई है.
उत्तर भारत तक पहुंचेगा असर
मौसम विभाग ने कहा है कि तेलंगाना, छत्तीसगढ़, झारखंड, बिहार और पूर्वी उत्तर प्रदेश में अगले दो दिनों तक भारी बारिश और बिजली गिरने की घटनाएं हो सकती हैं. आपदा प्रबंधन एजेंसियों को सतर्क रहने और राहत-बचाव दलों को संवेदनशील इलाकों में तैनात करने के निर्देश दिए गए हैं.
तूफान का सबक
“मोंथा” ने एक बार फिर यह साबित कर दिया है कि समुद्री तूफानों का असर सिर्फ तटीय इलाकों तक सीमित नहीं रहता. इनकी मार उत्तर और मध्य भारत तक पहुंच जाती है, जिससे लाखों लोगों के जीवन पर असर पड़ता है. विशेषज्ञों का कहना है कि बदलते जलवायु पैटर्न और समुद्री तापमान में वृद्धि आने वाले समय में ऐसे चक्रवातों की आवृत्ति और तीव्रता दोनों बढ़ा सकती है.









