जरासंध जयंती पर गिरिडीह में निकाली गई शोभा यात्रा, लगे जय जरासंध के नारे
झारखंड के गिरिडीह में जरासंध की जयंती मनाई गई. वही जरासंध जो भगवान श्रीकृष्ण को अपना शत्रु मानता था. जिसने एक बार कदाधारी भीम को मल्लयुद्ध के लिए ललकारा था. चंद्रवंशी समाज में जरासंध की काफी मान्यता है.

JHARKHAND (GIRIDIH): जरासंध जयंती को लेकर रविवार को गिरिडीह में भव्य शोभा यात्रा निकाली गयी. हजारों की संख्या में चंद्रवंशी समाज के युवाओं के साथ महिलाएं युवक-युवतियां शामिल हुए. केसरिया वस्त्र में युवतियां इस दौरान तलवार का प्रदर्शन करती दिखी. बता दें कि उक्त शोभा यात्रा का आयोजन अखिल भारतीय चंद्रवंशी युवा एसोसिएशन के द्वारा किया गया था.

अखिल भारतीय चंद्रवंशी युवा एसोसिएशन की ओर से निकाले गए शोभा यात्रा में भाजपा नेता संजू देवी, जेएमएम नेता अजीत कुमार पप्पू, अभय सिंह के साथ प्रदेश अध्यक्ष अरविन्द के साथ गिरिडीह के सुनील चंद्रवंशी, अनिल चन्द्रवंशी, अशोक राम, बजरंगी राम समेत कई पदाधिकारी और सदस्य शामिल हुए.
सर्कस मैदान से निकले शोभा यात्रा में इस दौरान चंद्रवंशी समाज के लोग जय जरासंध, जय मगधेश का जयकारा लगाते हुए चल रहे थे. शहर के अलग-अलग चौक-चौराहों से गुजरते हुए शोभा यात्रा इस दौरान जरासंध चौक पहुंची, जहां जरासंध की प्रतिमा पर माल्यार्पण किया गया. वहीं इस चौक पर युवतियों ने तलवार के खेल का प्रदर्शन भी दिखाया. सवेरा सिनेमा हाल में शोभा यात्रा का समापन किया गया.
कौन था जरासंध?
जरासंध मगध राज्य का राजा था. कंस वध के बाद जरासंध श्रीकृष्ण को अपना परम शत्रु मानने लगा था. वह किसी भी तरह उन्हें पराजित करना चाहता था. जरासंध ने श्रीकृष्ण और बलराम को मारने के लिए 17 बार आक्रमण किया, लेकिन हर बार श्रीकृष्ण उसकी पूरी सेना को नष्ट कर सिर्फ जरासंध को जीवित छोड़ देते थे.
कैसे संभव हुआ जरासंध वध?
पौराणिक कथानुसार महाभारत के युद्ध के 14 वें दिन जरासंध ने भीम को मल्लयुद्ध के लिए ललकारा लेकिन वह यह भूल गया था कि भीम को हराना किसी के बस में नहीं. भीम ने जरासंध के शरीर को दो भागों में बांट दिया और श्रीकृष्ण के संकेत अनुसार हर हिस्से को अलग अलग दिशाओं में फेंका ताकि उन्हें आपस में जोड़ा ना जा सके इस तरह जरासंध का वध हुआ.
रिपोर्ट: मनोज कुमार पिंटू









