झारखंड केंद्रीय विश्वविद्यालय का 7 दिवसीय राष्ट्रीय कर्मयोगी जन सेवा प्रशिक्षण कार्यक्रम का हुआ समापन
कुलपति प्रो. क्षिति भूषण दास ने अपने संबोधन में कहा कि श्रीमदभागवत गीता के कर्मयोग से कर्मयोगी की अवधारणा आई है. भक्ति योग, ज्ञान योग और कर्म योग के समन्वय से ही हम कर्म योगी बन सकते हैं जिससे हम सही मायने में विकसित भारत बनेंगे. उन्होंने कहा कि दो चीजें एक विश्वविद्यालय को आगे ले जाती हैं,

Naxatra News Hindi
Ranchi Desk:झारखंड केंद्रीय विश्वविद्यालय (CUJ) का 7 दिवसीय (9 से 17 सितंबर 2025 तक) राष्ट्रीय कर्मयोगी वृहद जन सेवा प्रशिक्षण कार्यक्रम का आज समापन हुआ. इस कार्यक्रम का उद्देश्य नागरिक-केंद्रित शासन, सेवा उत्कृष्टता और पेशेवर नैतिकता के मूल्यों के साथ अपने कार्य बल को सशक्त बनाना था. यह कार्यक्रम सभी केंद्रीय सरकारी कर्मचारियों के लिए क्षमता विकास आयोग, भारत सरकार द्वारा तैयार किया गया है. इस कार्यक्रम का उद्देश्य भारत के सभी सरकारी कर्मचारियों को नागरिकों के प्रति समर्पित होकर विकसित भारत बनाने में सहयोग करना.
सीयूजे के कुलपति प्रो. क्षिति भूषण दास और रजिस्ट्रार के. कोसल राव की अध्यक्षता में कार्यक्रम का समापन सत्र आयोजित किए गए. इस दौरान कुलपति प्रो. क्षिति भूषण दास ने अपने संबोधन में कहा कि श्रीमदभागवत गीता के कर्मयोग से कर्मयोगी की अवधारणा आई है. भक्ति योग, ज्ञान योग और कर्म योग के समन्वय से ही हम कर्म योगी बन सकते हैं जिससे हम सही मायने में विकसित भारत बनेंगे. उन्होंने कहा कि दो चीजें एक विश्वविद्यालय को आगे ले जाती हैं, एक प्रोडक्टिविटी और दूसरा आउटकम. विश्वविद्यालय और देश के सर्वांगीण विकास के लिए इमोशनल कोशेंट, सोशल कोशेंट पर भी काम करना चाहिए.
वहीं, कुलसचिव के. कोसल राव ने कहा कि सरकारी काम को रूल के साथ - साथ रोल बेस्ड कार्य की तरह उन्मुख होना है ताकि देश का विकास सही दिशा में हो. कार्यक्रम में मौजूद अब्दुल हलीम, मास्टर ट्रेनर और उप कुलसचिव ने बताया कि भारत सरकार के इस कार्यक्रम के तहत देश भर के 15000 मास्टर ट्रेनरों को 7 लाख सरकारी कर्मचारियों को प्रशिक्षित करने के लिए तैयार किया गया है. डॉ बी बी मिश्रा, परीक्षा नियंत्रक, सीयूजे और इस कार्यक्रम के मास्टर ट्रेनर ने कहा कि विश्वविद्यालय के चार अधिकारियों को गुवाहाटी में जाकर ट्रेनिंग लेकर सभी सीयूजे के कर्मचारियों को प्रशिक्षित करने की जिम्मेदारी दी गई और इस ट्रेनिंग के तहत सीयूजे के 224 सरकारी कर्मचारियों को प्रशिक्षित किया.
सीयूजे के कुल 224 कर्मचारियों ने प्रशिक्षण में सक्रिय रूप से भाग लिया, जिनमें 126 प्रोफेसर और 98 गैर-शिक्षण अधिकारी और कर्मचारी सदस्य शामिल थे, जो एक कुशल, सहानुभूतिपूर्ण और सेवा-उन्मुख कार्यबल के निर्माण के लिए विश्वविद्यालय की मजबूत प्रतिबद्धता को दर्शाता है. सात दिवसीय इस प्रशिक्षण में सीयूजे के सभी कर्मचारियों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया, जो राष्ट्रीय कर्मयोगी मिशन के तहत संस्थागत क्षमता निर्माण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम था. भारत सरकार के प्रतिष्ठित मास्टर प्रशिक्षकों के नेतृत्व में सत्रों का संचालन चार प्रतिष्ठित मास्टर प्रशिक्षकों द्वारा किया गया, जिनकी विशेषज्ञता और गतिशील प्रस्तुति ने शिक्षण अनुभव को समृद्ध बनाया.
डॉ. बीबी मिश्रा, परीक्षा नियंत्रक, डॉ. प्रज्ञान पुष्पांजलि, अब्दुल हलीम एवं डॉ. भगवती देवी. उनके संयुक्त प्रयासों से व्याख्यानों, केस स्टडीज़, समूह गतिविधियों और गेमीफाइड मॉड्यूल्स का सम्मिश्रण करते हुए एक गहन और इंटरैक्टिव शिक्षण वातावरण तैयार हुआ. कुलपति ने सभी मास्टर ट्रेनरों का धन्यवाद देते हुए शॉल देकर सम्मानित किया. कार्यक्रम को प्रतिभागियों से उत्कृष्ट और अत्यधिक सकारात्मक प्रतिक्रिया मिली. प्रो. मनोज कुमार, संकाय प्रमुख नेचुरल साइंस, डॉ रश्मि वर्मा और हिन्दी अधिकारी, मधुरागी श्रीवास्तव, जय प्रकाश शुक्ला ने अपने अच्छे अनुभव को साझा किया और कार्यक्रम की प्रशंसा की. कार्यक्रम का संचालन डॉ प्रणय पराशर ने किया और अतिथियों का स्वागत पुष्पगुच्छ देकर डॉ शशि सिंह ने किया. धन्यवाद ज्ञापन विश्वविद्यालय के उप कुलसचिव अब्दुल हलीम ने दिया.









