Godda: मुखिया राज में दहशत ! SC-ST केस की आड़ में तबाह कर दी युवाओं की जिंदगी
गोड्डा के मेहरमा प्रखंड अंतर्गत सिमानपुर पंचायत के मुखिया को विभागीय कार्रवाई के बाद निलंबित कर दिया है. अब जांच में कई खुलासे सामने आ रहे हैं. अवैध निकासी के साथ ही स्थानीय लोगों ने उनपर पद का दुरुपयोग करने का आरोप लगाया है.

Jharkhand (Godda): जिले के मेहरमा प्रखंड अंतर्गत सिमानपुर पंचायत इन दिनों जबरदस्त विवादों के घेरे में है पंचायत के मुखिया रहे मुन्ना पासवान पर सत्ता के दुरुपयोग भय का माहौल बनाने और कानून का हथियार बनाकर युवाओं की ज़िंदगी तबाह करने जैसे बेहद गंभीर आरोप सामने आए हैं.
विरोध जताने पर देते थे SC-ST केस में फंसाने की धमकी
दरअसल, स्थानीय लोगों ने आरोप लगाया है कि जब मुन्ना पासवान अपने पद और पावर में थे तब पूरे पंचायत में दहशत का माहौल बना हुआ था. दलित समुदाय से मुखिया होने के बावजूद परिवार वालों से कथित तौर पर अपनी सामाजिक पहचान की आड़ लेकर उन्होंने सत्ता का खुला दुरुपयोग किया. विरोध करने वाले, सवाल उठाने वाले या निजी रंजिश रखने वालों पर एससी/एसटी एक्ट जैसे गंभीर मामलों में फंसाने के आरोप भी लगाए जा रहे थे.
सलाखों के पीछे आज भी सजा काट रहे निर्दोष युवक
वहीं, ग्रामीणों का कहना है कि मुखिया की शिकायतों के बाद कई निर्दोष युवक जेल की सलाखों के पीछे पहुंच गए है. जिनमें से कुछ आज भी जेल में सज़ा भुगत रहे हैं इन मामलों ने कई परिवारों को सामाजिक और आर्थिक रूप से तोड़ कर रख दिया है जिससे युवाओं का भविष्य अंधकार में चला गया है.
विभाग ने कार्रवाई करते हुए किया निलंबित
हालांकि अब मुखिया मुन्ना पासवान पर प्रशासनिक शिकंजा कसता नजर आ रहा है मनरेगा योजना में फर्जी निकासी और गंभीर अनियमितताओं के आरोपों के बाद विभागीय कार्रवाई करते हुए उन्हें निलंबित कर दिया गया है निलंबन के साथ ही उनके वित्तीय और प्रशासनिक अधिकार भी समाप्त कर दिए गए हैं इसके बावजूद पीड़ित परिवारों का कहना है कि सिर्फ निलंबन काफी नहीं है.
निष्पक्ष जांच की मांग कर रहे ग्रामीण
इसके साथ ही वे एससी/एसटी एक्ट के कथित दुरुपयोग और झूठे मामलों की निष्पक्ष जांच की मांग कर रहे हैं ताकि जिन निर्दोष युवाओं की ज़िंदगी बर्बाद हुई है उन्हें न्याय मिल सकें. लेकिन अब सवाल यह है कि क्या सिमानपुर पंचायत में वर्षों से चले आ रहे इस डर के राज की परतें पूरी तरह खुलेंगी ? क्या जेल में बंद निर्दोषों को इंसाफ मिलेगा या फिर यह मामला भी फाइलों में दबकर रह जाएगा ? इस संबंध में सबकी निगाहें अब प्रशासन और न्याय व्यवस्था पर टिकीं हैं.









