VBU दीक्षांत समारोह: विद्यार्थियों से राज्यपाल का आह्वान- ‘आत्मनिर्भर एवं सशक्त भारत’ में रखें ईमानदार भागीदारी
झारखंड के प्रसिद्ध विश्वविद्यालय विनोबा भावे विवि में दीक्षांत समारोह का आयोजन किया गया. जिसमें राज्यपाल संतोष गंगवार ने उपाधि प्राप्त करने वाले सभी विद्यार्थियों और शोधार्थियों को शुभकामनाएं दी. इस दौरान उन्होंने 2020 की शिक्षा नीति का जिक्र किया. साथ ही विद्यार्थियों को भविष्य के लिए विभिन्न स्थितियों से रूबरू कराया.

JHARKHAND (RANCHI): झारखण्ड राज्य के विश्वविद्यालयों के कुलाधिपति संतोष कुमार गंगवार ने मंगलवार को विनोबा भावे विश्वविद्यालय, हजारीबाग में दीक्षांत समारोह का आयोजन किया गया. उक्त 10वें दीक्षांत समारोह में उपाधि प्राप्त करने वाले सभी विद्यार्थियों और शोधार्थियों को शुभकामनाएं दी गई.

संतोष कुमार गंगवार ने कार्यक्रम के दौरान कहा कि यह केवल उपाधि प्रदान करने का औपचारिक कार्यक्रम नहीं, बल्कि यह विद्यार्थियों के परिश्रम, अनुशासन, धैर्य और निरंतर साधना का प्रतीक है. उन्होंने कहा कि दीक्षांत विद्यार्थियों के जीवन के एक महत्वपूर्ण अध्याय की पूर्णता और नए अध्याय की शुरुआत है. विश्वविद्यालय से प्राप्त ज्ञान, मूल्यबोध और संस्कारों का उपयोग अब समाज और राष्ट्र के व्यापक हित में करना विद्यार्थियों का दायित्व है.

अपने संबोधन में राज्यपाल ने कहा कि यह विश्वविद्यालय भू-दान के प्रणेता संत विनोबा भावे के नाम पर स्थापित है. जिन्होंने अपने सम्पूर्ण जीवन को समाज सुधार और भू-दान यज्ञ जैसे महान कार्यों के लिए समर्पित कर दिया. उनके विचारों और उनके द्वारा किये गए कार्यों ने समाज को एक नई दिशा दी. विद्यार्थियों से अपेक्षा है कि वे अपने आचरण और कर्म से इन मूल्यों को जीवंत बनाए रखें. उन्होंने कहा कि शिक्षा का उद्देश्य केवल आजीविका अर्जन नहीं, बल्कि एक संवेदनशील, जिम्मेदार और कर्तव्यनिष्ठ नागरिक का निर्माण करना है. उन्होंने विद्यार्थियों से ‘विकसित भारत @2047’ तथा ‘आत्मनिर्भर एवं सशक्त भारत’ के निर्माण में ईमानदारी, परिश्रम और नैतिकता के साथ योगदान देने का आह्वान किया.
राज्यपाल ने विद्यार्थियों से कहा कि आप शिक्षा के महत्व को केवल अपने तक सीमित न रखें. समाज के प्रति भी आपका एक बड़ा दायित्व बनता है. उन्होंने कहा कि प्रत्येक शिक्षित युवा यदि समाज के किसी एक बच्चे की शिक्षा की जिम्मेदारी ले, तो अशिक्षा स्वतः समाप्त हो सकती है. शिक्षा का प्रसार ही राष्ट्र के उज्ज्वल भविष्य की आधारशिला है.
उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय केवल डिग्री देने वाले संस्थान नहीं, बल्कि विचार, चरित्र और चेतना के केंद्र होते हैं. उन्होंने शैक्षणिक गुणवत्ता, शोध, सामाजिक सरोकारों तथा प्लेसमेंट व्यवस्था को और सुदृढ़ करने की आवश्यकता पर बल दिया तथा छात्रहित में प्लेसमेंट सेंटर को अधिक प्रभावी बनाने की बात कही.
राज्यपाल ने ‘राष्ट्रीय शिक्षा नीति–2020’ का उल्लेख करते हुए कहा कि यह नीति शिक्षा को समावेशी, मूल्यपरक और समाजोपयोगी बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है. सफलता और असफलता दोनों ही जीवन के स्वाभाविक पक्ष हैं, परंतु जो व्यक्ति असफलता से सीख लेकर आगे बढ़ता है, वही स्थायी सफलता प्राप्त करता है.
अंत में उन्होंने विद्यार्थियों से कहा कि जीवन में आने वाली असफलताओं से घबराने के बजाए हमें सीख लेने की जरूरत होती है.









