कल अपने पैतृक गांव नेमरा जाएंगे CM हेमंत, शहीद सोबरन सोरेन के शहादत दिवस समारोह में होंगे शामिल
कल दिवंगत दिशोम गुरु शिबू सोरेन के पिता और सूबे के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के दादा शहीद सोबरन सोरेन का शहादत दिवस मनाया जाएगा. इसे लेकर नेमरा में शहादत दिवस समारोह का आयोजन किया गया है जिसमें मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन, पत्नी कल्पना मुर्मू सोरेन सहित कई नेता शामिल होंगे.

Ranchi: मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन कल गुरुवार (27 नवंबर 2025) को अपने पैतृक गांव नेमरा जाएंगे. जहां वे शहीद सोबरन सोरेन के 68वां शहादत दिवस समारोह में शामिल होंगे. कार्यक्रम में उनकी पत्नी और गांडेय विधायक कल्पना मुर्मू सोरेन सहित कई विधायक भी शिरकत करेंगे. प्रत्येक वर्ष शहीद सोबरन सोरेन के शहादत दिवस पर रामगढ़ जिले के गोला प्रखंड स्थित नेमरा गांव अंतर्गत लुकैयाटांड़ में समारोह का आयोजन किया जाता है. जिसमें हजारों की संख्या में लोग उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करने पहुंचते हैं.
कार्यक्रम को लेकर बनाए जा रहे भव्य पंडाल
आपको बता दें, शहीद सोबरन सोरेन झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के दादा जी और उनके पिता दिवंगत दिशोम गुरु शिबू सोरेन के पिता जी थे. शहादत दिवस को लेकर भव्य कार्यक्रम का आयोजन किया जाएगा. भव्य पंडाल बनाए गए है साथ ही सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए जा रहे हैं. जिसे लेकर पुलिस बलों के साथ मजिस्ट्रेट की तैनाती होगी.
कार्यक्रम स्थल का डीसी और एसपी ने किया निरीक्षण
बीते दिन 25 नवंबर को गोला प्रखंड के लुकैयाटांड़ बरलंगा में प्रस्तावित कार्यक्रम स्थल का रामगढ़ डीसी फैज अक अहमद मुमताज, एसपी अजय कुमार के साथ तमाम पदाधिकारी और JMM रामगढ़ जिला अध्यक्ष ने निरीक्षण किया. जिसमें उन्होंने समारोह में शामिल होने वाले अतिथियों और आम जनता के लिए बैठने की व्यवस्था, मंच, डी एरिया, हेलीपैड, पार्किंग व्यवस्था सहित कार्यक्रम के दौरान स्थल पर आवश्यक मूलभूत सुविधाएं सुनिश्चित करने के आवश्यक दिशा-निर्देश दिए.
जानें कौन हैं शहीद सोबरन सोरेन
सोबरन सोरेन दिवंगत दिशोम गुरु शिबू सोरेन के पिता और मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के दादा थे, वे पेशे से एक शिक्षक थे. और उस वक्त आसपास के पूरे इलाके में महाजनों का राज चलता था. सोबरन सोरेन अक्सर जमींदारी प्रथा का विरोध करते थे. उन्होंने महाजनी शोषण और गांवों में शराबबंदी के विरूद्ध अपनी आवाज बुलंद की थी. इस दौरान जमींदरों ने लुकैयाटांड में 27 नवंबर 1957 को हत्या कर दी थी. बताया जाता है कि वे जब अपने गांव के नेमरा से गोला हाईस्कूल के लिए रवाना हुए थे तभी जमींदारों ने उनकी हत्या कर दी थी.
वहीं जब सोबरन सोरेन की हत्या हुई थी उस वक्त दिशोम गुरु शिबू सोरेन स्कूल के हॉस्टल में रहकर अपनी पढ़ाई कर रहे थे. बताया जाता है कि सोबरन सोरेन अपने बेटे शिबू सोरेन के लिए चावल लेकर जा रहे थे. तभी अचानक पहाड़ी क्षेत्र लुकैयाटांड में महाजनों ने उन्हें घेर लिया और उनकी हत्या कर दी. जिसके बाद उनकी याद में प्रत्येक वर्ष 27 नवंबर को इसी स्थान पर शहीद सोबरन सोरेन का शहादत दिवस मनाया जाता है. जिसमें भारी संख्या में लोग उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करने पहुंचते हैं.









