कैसा ये विकास, कैसी शिक्षा व्यवस्था? 20 सालों से बच्चे पेड़ के नीचे पढ़ने को हैं मजबूर
मामला शिक्षा व्यवस्था से संबंधित है. स्थानीय लोगों द्वारा 20 वर्षों से आंगनबाड़ी भवन की मांग लंबित है. जिसके परिणामस्वरूप बच्चे पेड़ के नीचे बैठ पढ़ने को मजबूर हैं. बच्चों की सुरक्षा को ध्यान में रखकर ऐसा करने को मजबूर हैं शिक्षक.

JHARKHAND (GIRIDIH): बच्चों की पढ़ाई को जितना महत्वपूर्ण माना जाता है, उतना ही आवश्यक होता है - उनके लिए आधारभूत संरचना भी उतनी ही जरूरी होती है. मामला गिरिडीह जिले के बिरनी प्रखंड का है. दरअसल बिराजपुर गांव में आगंनबाड़ी भवन की व्यवस्था नहीं है. जिसकी कमी के अभाव में गांव के बच्चों को एक पेड़ के नीचे बिठाकर शिक्षक पढ़ाने को मजबूर हैं.
गांव के मुखिया किशुन राम की माने तो आंगनबाड़ी केंद्र 20 वर्षों से किराए के मकान में संचालित हो रहा है. सेविका पूजा कुमारी पांडेय समेत लोगों ने जानकारी दी, कि विभाग को कई बार लिखित आवेदन देकर आंगनबाड़ी भवन की मांग की गई है. लेकिन विभागीय अधिकारियों की ओर से कोई उचित कदम पिछले 20 वर्षों से अब तक नहीं उठाए गए.

दुर्घटना संभावित है पुराना आंगनबाड़ी भवन
मामला की गंभीरता की जानकारी इससे समझ आती है, कि पुराना आंगनबाड़ी भवन जर्जर स्थिति में पड़ा हुआ है. जहां जान-माल को नुकसान होने की संभावना को देखते हुए बच्चों को मजबूरी में खुले आकाश में, गंदगी के बीच पढ़ाया जा रहा है. सेविका पांडेय ने बताया कि पुराने भवन की स्थिति इतनी बदतर हो चुकी है कि वहां बरसात के मौसम में पानी टपकने की भी समस्या होती है. कहा कि जर्जर कच्चा मकान ढहने की डर से बच्चों को फिलहाल दूसरे स्थान पर पढ़ाया जा रहा है जहां सीमित स्थान है और कचरे से भरा हुआ है.
कई अधिकारियों के बदलने के बाद भी स्थिति वही की वही
बता दें कि प्रखण्ड सह अंचल कार्यालय का कार्यभार 2020-2025 तक चार सीओ ने कार्यभार संभाला जिसमें अशोक राम, सारांश जैन और दो बार संदीप मद्धेशिया एवं बीडीओ सुनील कुमार वर्मा, फणीश्वर राजवार तथा सीडीपीओ मायारानी के अलावे सन्दीप मद्धेशिया अब तक कार्यभार संभाल चुके हैं, तबपर भी आगनबाड़ी भवन का निर्माण लंबित पड़ा हुआ है.
(रिपोर्ट - मनोज कुमार पिंटू/सदानंद बरनवाल)









