महापर्व छठ के तीसरे दिन आज अस्तगामी सूर्य को अर्घ्य देंगे व्रती, जानें पूजन विधि
कार्तिक शुक्ल षष्ठी को यानी आज छठ व्रती पूरे दिन निर्जला उपवास रखते हैं और शाम के समय पवित्र नदी, तालाब, छठ घाटों में जाकर अस्तगामी सूर्य को अर्घ्य अर्पित करेंगे. इस दौरान व्रती अपने परिवार और संतान के लिए कल्याण, सुख-समृद्धि की कामना करेंगे.

Chhath Puja 2025: चार दिवसीय लोक आस्था के महापर्व छठ का आज तीसरा दिन है. आज के दिन सबसे महत्वपूर्ण अस्तगामी सूर्य यानी डूबते हुए सूर्य देवता को अर्घ्य देने का विधान है. हिंदू पंचाग के अनुसार, कार्तिक शुक्ल षष्ठी के दिन व्रती बिना जल ग्रहण किए निर्जला व्रत रखते हैं और शाम के समय किसी पवित्र नदी, तालाब या जलाशय के किनारे जाते हैं और डुबकी लगाकर डूबते हुए सूर्य देवता को अर्घ्य अर्पित करते हैं. इस दौरान व्रती अपने परिवार के सदस्यों के सुख-समृद्धि और सेहत की कामना करती है और छठी मैया और सूर्य आराधना में भक्ति गीत गाती हैं. संध्या अर्घ्य के लिए एक बांस के सूप में ठेकुआ, फल, नारियल, गन्ना और अन्य प्रसाद सजाया जाता है. संध्या अर्घ्य के समय सूर्य देवता दूध और जल मिश्रित जल से अर्घ्य देने की परंपरा है.
इसके बाद कार्तिक शुक्ल सप्तमी तिथि यानी की छठ पूजा के चौथे दिन सुबह-सुबह ऊषा अर्घ्य (उगते हुए सूर्य) होता है. छठ महापर्व का चौथा दिन मंगलवार (28 अक्तूबर 2025) को पड़ रहा है इस दिन व्रतियों द्वारा उगते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है. इस दिन व्रती अहले सुबह छठ घाट, नदी, जलाशयों में पहुंचती है और नदी, जलाशयों में डुबकी लगाकर उगते हुए भगवान भास्कर को अर्घ्य देती हैं. इस दौरान परिवार की मंगलकामना करती है और इसी के साथ छठ पूजा का व्रत समाप्त हो जाता है इसके बाद प्रसाद ग्रहण किया जाता है. इस दिन को नई शुरूआत और शुद्धता का प्रतीक माना जाता है.
संध्या अर्घ्य की विधि
छठ पूजा के तीसरे दिन शाम के समय व्रती नदी या घाट पर एक साथ एकत्र होते हैं. एक सूप में ठेकुआ, अलग-अलग फल, गन्ना, नारियल और दीपक सजाकर रखे जाते हैं. सूर्यास्त से पहले सूर्य की ओर मुख करके पीतल के कलश या पात्र से अर्घ्य दिया जाता है. इस दौरान व्रती ‘ॐ सूर्याय नमः’ मंत्र का जाप करते हैं. इसके बाद अपने परिवार के कल्याण और सुख-समृद्धि की मनोकामना की जाती है. और अंत में दीपक जलाकर उसे जल में प्रवाहित करना भी अति शुभ माना जाता है.
छठ पूजा के महत्व
बता दें, छठ पूजा सूर्य देवता और छठी मैया की आराधना का पर्व है, इस पर्व को शुद्धता, आस्था और अनुशासन का प्रतीक माना जाता है. छठ पर्व में व्रती द्वारा पूरी निष्ठा और संयम के साथ भगवान भास्कर अर्घ्य देकर जीवन में सुख, समृद्धि और संतानों के कल्याण की कामना किया जाता है. लोक आस्था का यह महापर्व प्रकृति, जल और सूर्य की उपासना से जुड़ा है, जो मनुष्य जीवन में ऊर्जा और सकारात्मकता के महत्व को प्रदर्शित है.
28 अक्टूबर को संपन्न होगा महापर्व छठ
महापर्व छठ चार दिनों तक चलने वाला कठोर व्रत वाला पर्व है. इस पर्व का खास और विशेष महत्व है जिसमें पहला दिन- नहाय खाय, दूसरे दिन- खरना, तीसरा दिन- भगवान भास्कर (सूर्य देवता) का संध्या अर्घ्य और चौथा दिन- उषा अर्घ्य यानी उगते हुए सूर्य देवता को अर्घ्य दिया जाता है. इस पर्व में भगवान भास्कर (सूर्य देवता) और छठी मैया की पूजा-उपासना की जाती है. छठ पूजा को डाला छठ, प्रतिहार और सूर्य षष्ठी के नाम से भी जाना जाता है. इस बार यह पर्व शनिवार (25 अक्तूबर 2025) से शुरू हो चुका है जो 28 अक्तूबर 2025 (मंगलवार) को संपन्न होगा.









