गुरु नानक देव की 556वीं जयंती आज, जानें उनकी कुछ खास शिक्षाओं के बारे
आज के दिन पूरे देश के गुरुद्वारों को दीपों से सु-सज्जित किया जाता है और जगह-जगह पर सिख समुदाय के लोग लंगर के रुप में लोगों की सामूहिक सेवा करते हैं.

Guru Nanak Jayanti: आज बुधवार (5 नवंबर 2025) को सिख समुदाय के पहले गुरू 'गुरूनानक देव' की 556वीं जयंती मनाई जा रही है इसे गुरु पर्व, गुरु नानक प्रकाश पर्व के नाम से भी जाना जाता है. यह पर्व सिख समुदाय के लोगों के लिए बेहद खास होता है इस दिन गुरुनानक देव जी की सत्य, सद्भाव और करूणा की शिक्षाओं याद करते हैं जो आज भी करोड़ों लोगों के लिए प्रेरणा का स्रोत हैं.
गुरु नानक देव जी की करुणा, सद्भाव और सत्य की शिक्षाएं आज भी करोड़ों लोगों के लिए प्रेरणा का स्रोत हैं. आज के दिन पूरे देश के गुरुद्वारों को दीपों से सु-सज्जित किया जाता है और जगह-जगह पर सिख समुदाय के लोग लंगर के रुप में लोगों की सामूहिक सेवा करते हैं. तो आइए हम आफको आज गुरुनानक देव जी की कुछ खास उपदेशों से अवगत कराते हैं-
एक ही परमात्मा है जो सभी प्राणियों के रचयिता और पालनकर्ता है.
एक ईश्वर की साधना में हमेशा मन लगाओ, क्योंकि आपको वहीं सच्चा रास्ता दिखाता है.
किसी से भेदभाव न करो क्योंकि परमात्मा या ईश्वर हर प्राणी में और हर जगह विद्यमान है.
जो ईश्वर की भक्ति में लीन रहता है, उसे किसी का भी भय नहीं सताता.
मेहनत और अपनी ईमानदारी से जीवन यापन करो, सच्ची उपासना यही है.
कभी किसी के साथ बुरा ना करो और ना ही बुरा सोचो. सभी लोगों के प्रति दया भाव रखो.
ईश्वर से अपनी गलतियों के लिए क्षमा मांगो और हमेशा खुश रहो.
अपनी मेहनत का एक हिस्सा जरूरतमंद और गरीबों की मदद में लगाओ, ये सच्ची दान है.
सबको एक दृष्टि से देखो, स्त्री और पुरुष दोनों एक ही समान हैं.
भोजन सिर्फ शरीर को जीवित रखने के लिए है, खुद में लालच और लोभ की बुरी आदत ना डालना.
कौन थे सिख समुदाय के पहले गुरु 'गुरुनानक देव?
1469 ई. में पाकिस्तान स्थित तलवंडी नामक गांव में गुरु नानक देव का जन्म हुआ था जो इस वक्त ननकाना साहिब के नाम से जाना जाता है. उनकी माता का नाम त्रिप्ता देवी और पिता का नाम मेहता कालूचंद था. गुरुनानक में बचपन से ही ईश्वर के प्रति गहरा लगाव और समाज में फैले भेदभाव के खिलाफ सोच दिखती थी. उन्होंने ऊंच-नीच, जात-पात और दिखावे पर आधारित धार्मिक पुरंपराओं को नकारते हुए समानता, प्रेम और एक ईश्वर की उपासना करने की शिक्षा लोगों को दी.









