महागठबंधन की एकजुटता पर सवाल: दो-दो उम्मीदवार आमने-सामने, अदंरूनी जंग ने बढ़ाया सियासी पारा
महागठबंधन की एकजुटता पर सवाल खड़े उठने लगे हैं. दो-दो उम्मीदवार आमने-सामने दिखायी दे रहे हैं. मंच पर महागठबंधन के झंडे नहीं दिखे. इस अंदरूनी जंग ने सियासी पारा बढ़ा दिया है.

NAXATRA NEWS
BIHAR SARIF : बिहार शरीफ में महागठबंधन की एकजुटता पर सवाल खड़े उठने लगे हैं. दो-दो उम्मीदवार आमने-सामने दिखायी दे रहे हैं. मंच पर महागठबंधन के झंडे नहीं दिखे. इस अंदरूनी जंग ने सियासी पारा बढ़ा दिया है.
बिहार विधानसभा चुनाव के बीच महागठबंधन की एकजुटता पर अब सवाल खड़े होने लगे हैं. एक ओर जहां नेता ऑल इज़ वेल का दावा कर रहे हैं, वहीं दूसरी ओर बिहार शरीफ विधानसभा सीट पर खुद महागठबंधन के दो उम्मीदवार आमने-सामने खड़े नज़र आ रहे हैं.
इस सीट से सीपीआई के शिवकुमार यादव और कांग्रेस के उमेर खान दोनों ही महागठबंधन समर्थित प्रत्याशी के तौर पर चुनावी मैदान में हैं. शुरुआत में यह उम्मीद जताई जा रही थी कि गठबंधन के एक प्रत्याशी नाम वापस ले लेंगे, लेकिन ऐसा अब तक नहीं हुआ, नतीजा अब महागठबंधन के भीतर सीधी भिड़ंत तय मानी जा रही है.
सीपीआई प्रत्याशी शिवकुमार यादव ने बिहार शरीफ में जोरदार पैदल मार्च निकाला. मार्च में सीपीआई, माले और वीआईपी के झंडे तो खूब लहराए, लेकिन कांग्रेस का झंडा पूरी तरह गायब रहा. इससे यह साफ संकेत मिल रहा है कि गठबंधन में तालमेल की स्थिति बेहद कमजोर है. शिवकुमार यादव ने कहा कि हमारी सीधी लड़ाई बीजेपी से है, कांग्रेस हमारे सामने कुछ नहीं. आरजेडी ने हमें समर्थन दिया तभी हमने नामांकन किया. कांग्रेस का झंडा मांगा था, लेकिन उन्होंने दिया नहीं. उनका उम्मीदवार पैराशूट प्रत्याशी है.
वहीं, कांग्रेस उम्मीदवार उमेर खान का कहना है कि महागठबंधन में सब कुछ ठीक है. उन्हें भरोसा है कि आलाकमान हस्तक्षेप कर स्थिति को संभाल लेगा. उन्होंने विपक्ष पर आरोप लगाया कि वह जानबूझकर भ्रम फैलाने का काम कर रहा है.
फिलहाल बिहार शरीफ की लड़ाई दिलचस्प मोड़ ले चुकी है. जहां एक तरफ बीजेपी अपनी रणनीति के साथ आगे बढ़ रही है, वहीं महागठबंधन की फ्रेंडली फाइट ने चुनावी समीकरण को उलझा दिया है. अब देखना यह होगा कि इस अंदरूनी जंग का फायदा किसके खाते में जाता है, महागठबंधन के या फिर बीजेपी को इसका लाभ उठाएगी.









