मुकेश सहनी नहीं लड़ेंगे चुनाव: महागठबंधन में बनी बात, VIP को मिलीं 15 सीटें
बिहार की सियासत में पिछले कुछ दिनों से महागठबंधन के अंदर सीट बंटवारे को लेकर जो खींचतान चल रही थी. VIP प्रमुख मुकेश सहनी और महागठबंधन के शीर्ष नेताओं के बीच डील फाइनल हो गई है.

Bihar Election 2025 :
बिहार की सियासत में पिछले कुछ दिनों से महागठबंधन के अंदर सीट बंटवारे को लेकर जो खींचतान चल रही थी, आखिरकार उसका समाधान निकल आया है. विकासशील इंसान पार्टी (VIP) प्रमुख मुकेश सहनी और महागठबंधन के शीर्ष नेताओं के बीच डील फाइनल हो गई है. कांग्रेस नेता राहुल गांधी और राजद नेता तेजस्वी यादव ने मुकेश सहनी को उचित सम्मान का भरोसा दिलाया. इसी के तहत VIP को महागठबंधन में 15 सीटें दी गई हैं.
राज्यसभा और विधान परिषद में भी हिस्सेदारी
सीट बंटवारे के साथ ही यह तय हुआ है कि मुकेश सहनी को राज्यसभा भेजा जाएगा. इसके अलावा विकासशील इंसान पार्टी के दो नेताओं को विधान परिषद में भी जगह मिलेगी. इस समझौते के बाद सहनी ने स्पष्ट कर दिया है कि वे खुद विधानसभा चुनाव नहीं लड़ेंगे, बल्कि महागठबंधन के प्रत्याशियों के लिए प्रचार-प्रसार करेंगे. उन्होंने कहा कि, “महागठबंधन को जिताना मेरी प्राथमिकता है, सीट बंटवारे पर सारी बातें तय हो चुकी हैं.”
दरभंगा में बड़ा एलान
डील फाइनल होने के बाद मुकेश सहनी दरभंगा पहुंचे, जहां उन्होंने यह साफ किया कि वे इस बार चुनावी मैदान में नहीं उतरेंगे. साथ ही उन्होंने अपने भाई को गौड़ाबौराम विधानसभा सीट से उम्मीदवार घोषित कर दिया. पहले यह चर्चा थी कि मुकेश सहनी खुद इस सीट से लड़ सकते हैं, लेकिन अब उनके राज्यसभा जाने की संभावना सबसे मजबूत मानी जा रही है.
सीट मांग से लेकर समझौते तक का सफर
शुरुआत में मुकेश सहनी ने महागठबंधन से 50 सीटें और डिप्टी सीएम का पद मांगा था. जब बात नहीं बनी, तो उन्होंने मांग घटाकर 40 सीटें कर दीं, और फिर 20 सीटों पर अड़ गए. दिल्ली में राहुल गांधी और तेजस्वी यादव से उनकी कई दौर की बातचीत हुई. सहनी ने कहा था कि, “महागठबंधन बीमार है, मैं इलाज करने आया हूं.” हालांकि शुरुआत में सहमति नहीं बनी और गुरुवार को पूरे दिन उनके प्रेस कॉन्फ्रेंस के समय बदलते रहे. अंततः राहुल गांधी और तेजस्वी यादव की सीधी बातचीत के बाद रात में समझौता हुआ और VIP को 15 सीटें मिलीं.
2020 के चुनाव से सीख
साल 2020 के विधानसभा चुनाव में भी मुकेश सहनी ने सीट बंटवारे को लेकर नाराज होकर अंतिम समय में महागठबंधन छोड़ दिया था और एनडीए में शामिल हो गए थे. उन्होंने 11 सीटों पर उम्मीदवार उतारे थे, लेकिन खुद सिमरी बख्तियारपुर सीट से हार गए. हालांकि VIP के चार उम्मीदवार विधायक बने, लेकिन बाद में सभी भाजपा में शामिल हो गए. इस वजह से सहनी के पास अब कोई विधायक नहीं बचा था, जिससे उनकी बार्गेनिंग पावर कमजोर पड़ गई थी.









