मानवता की मिसालः वर्षों पहले घरवालों से बिछड़े युवक को मोतिहारी एसपी ने परिवार वालों से मिलवाया
अररिया जिले के फारबिसगंज प्रखंड के परवाहा कमला नदी के किनारे एक असहाय युवक पड़ा हुआ था जिसे देखकर अररिया जिले के एक सामाजिक कार्यकर्ता प्रभात यादव उससे अपने घर ले आया लाया. और उससे पूछताछ में युवक ने अपना नाम राकेश उर्फ अखिलेश रविदास, पिता का नाम अवधेश राम बताया.

Naxatra News Hindi
Ranchi Desk:मोतिहारी एसपी स्वर्ण प्रभात की तत्परता से वर्षों से भटका युवक आज अपने परिवार की गोद में लौट रहा है. मोतिहारी एसपी स्वर्ण प्रभात और अररिया के सामाजिक कार्यकर्ता प्रभात यादव के इन कार्यों की लोग काफ़ी प्रशंसा कर रहें है लोगों का कहना है कि मानवता आज भी जीवित है, अगर कोई सच्चे मन से कोशिश करें तो किसी की भी ज़िंदगी बदली जा सकती है.
दरअसल आपको बता दें कि, अररिया जिले के फारबिसगंज प्रखंड के परवाहा कमला नदी के किनारे एक असहाय युवक पड़ा हुआ था जिसे देखकर अररिया जिले के एक सामाजिक कार्यकर्ता प्रभात यादव उससे अपने घर ले आया लाया. और उससे पूछताछ में युवक ने अपना नाम राकेश उर्फ अखिलेश रविदास, पिता का नाम अवधेश राम बताया. लेकिन घर का सही पता पूछने पर वह बार-बार बदलते जवाब देने लगा. कभी वह कहता कि मोतिहारी के राजेपुर तेतरिया तो कभी केसरिया तेतरिया और कभी मधुबन तेतरिया बताता था. असमंजस की स्थिति में प्रभात ने मोतिहारी से Naxatra News के एक पत्रकार प्रतिक सिंह के माध्यम से मोतिहारी के पुलिस अधीक्षक स्वर्ण प्रभात से सम्पर्क किया गया. और उनको इसकी पूरी जानकारी दी.
वहीं, पुलिस अधीक्षक ने तत्परता दिखाते हुए प्रशासनिक स्तर पर खोजबीन शुरू करवाई. पुलिस अधीक्षक ने मिलते जुलते नाम वाले गांव के थानों को अलर्ट कर जानकारी इकट्ठा करने का निर्देश दिया. फिर क्या था एसपी स्वर्ण प्रभात की मदद से भटके युवक के घर का पता चला. उसी रात सूचना मिली कि यह युवक असल में अखिलेश राम, पिता स्व. जगरान राम, निवासी छेनी छपरा, पोस्ट-नकरदेवा, पंचायत-मेघुवा तेतरिया, जिला-पूर्वी चंपारण का रहने वाला है. इस सूचना के आधार पर रात में ही उसके छोटे भाई विनोद राम और मनोज राम फारबिसगंज प्रखंड के अड़राहा गांव पहुंचे गए. जिसके बाद आज 11 सितंबर की सुबह नरपतगंज स्टेशन पर प्रभात यादव ने स्वयं अखिलेश राम को उनके भाइयों के हवाले किया.
हालांकि, यह क्षण बेहद भावुक रहा. वर्षों से भटका बेटा आखिरकार अपने परिवार की गोद में लौट रहा था. अखिलेश राम के छोटे भाई ने बताया कि अखिलेश पहले अच्छे और जिम्मेदार व्यक्ति थे. वे शादी-ब्याह में साउंड बाजा बजाने का काम करते थे. उनकी पत्नी की असामयिक मृत्यु वर्ष 2012 में हो गई थी. इस हादसे के बाद वे गहरे सदमे में चले गए. मानसिक स्थिति बिगड़ने के कारण इलाज के लिए उन्हें मुजफ्फरपुर ले जाया गया था. वहीं इलाज के दौरान वे परिवार से बिछड़ गए और तब से लापता थे. उनके दो बेटे और दो बेटियां हैं. पत्नी के निधन और पारिवारिक विछोह ने उन्हें पूरी तरह से तोड़ दिया था.
परिवार के लोगों ने इस घटना को मानवता की मिसाल करार दिया. लोगों का कहना है कि आज के दौर में जहां स्वार्थ और संवेदनहीनता बढ़ती जा रही है, वहीं मोतिहारी एसपी स्वर्ण प्रभात और अररिया के प्रभात यादव ने यह साबित किया है कि इंसानियत आज भी जीवित है. अगर हर कोई थोड़ी-सी संवेदना दिखाए तो किसी की ज़िंदगी बच सकती है, किसी घर का दिया फिर से जल सकता है. यह घटना अब पूरे मोतिहारी में चर्चा का विषय बन गया है. फारबिसगंज से लेकर पूर्वी चंपारण तक लोग इसे मानवता का अनमोल उदाहरण मान रहे हैं. एक भटका हुआ बेटा, जो वर्षों से दर-दर भटक रहा था, आखिरकार अपने घर लौट आया. और इस पूरी कहानी के केंद्र में रहे मोतिहारी एसपी स्वर्ण प्रभात और अररिया के फारबिसगंज प्रखंड के युवा प्रभात यादव, जिन्होंने युवक उसके परिवार तक पहुंचाकर समाज के सामने एक आदर्श स्थापित किया.









