उदीयमान सूर्य को अर्घ्य देने के साथ संपन्न हुआ लोक आस्था का महापर्व छठ
उदीयमान सूर्य को अर्घ्य देने के साथ आज लोक आस्था के महापर्व छठ का समापन हो गया. इसके साथ ही 36 घंटे का कठोर निर्जला व्रत भी संपन्न हो गया. व्रतियों ने आज पवित्र नदी, छठ घाटों और जलाशयों में पहुंचकर सूर्योदय के समय उगते हुए भगवान भास्कर (सूर्य देवता) को अर्घ्य दिया और अपने परिवार की सुख समृद्धि और संतान की लंबी आयु की कामना की.

Chhath Puja 2025: चार दिवसीय लोक आस्था के महापर्व छठ का आज 28 अक्तूबर 2025 (मंगलवार) को चौथा और अंतिम दिन है. आज के दिन ऊषा अर्घ्य के साथ महापर्व छठ का समापन हो गया. इसके साथ ही 36 घंटें का कठोर निर्जला व्रत भी संपन्न हो गया. आज के दिन छठ व्रतियों ने सूर्योदय के समय नदी, तालाब, छठ घाटों और जलाशयों में डुबकी लगाकर उदीयमान सूर्य देव को अर्घ्य दिया. और इस दौरान व्रतियों ने अपने परिवार की सुख समृद्धि और संतान के लंबे आयु और जीवन में ऊर्जा की मनोकामनाएं की. तो आइए जानते है छठ पर्व के अंतिम और चौथे दिन का क्या है विशेष महत्व.
27 अक्टूबर को दिया था अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य
आपको बता दें, उदीयमान सूर्य को अर्घ्य देने से पूर्व 27 अक्तूबर 2025 की शाम व्रतियों ने नदियों, तालाबों और जलाशयों में अस्ताचलगामी सूर्य यानी डूबते हुए सूर्य (भगवान भास्कर) को अर्घ्य दिया था जबकि आज सुबह-सुबह व्रतियों ने सूर्योदय के समय पानी में खड़े होकर उदीयमान सूर्य को अर्घ्य अर्पित किया.
उदीयमान सूर्य को अर्घ्य देने का महत्व
महापर्व छठ के चौथे दिन उदीयमान सूर्य यानी उगते हुए सूर्य देवता को अर्घ्य दिया जाता है जो जीवन में नई ऊर्जा और प्रकाश का प्रतीक है, पौराणिक शास्त्रों के अनुसार, भगवान भास्कर को अर्घ्य देने से मनुष्य के जीवन में अनेक सकारात्मक बदलाव होते है. और सूर्य भगवान के जल अर्पित करने से शरीर में न सिर्फ ऊर्जा और आत्मबल बढ़ता है बल्कि आत्मविश्वास और मानसिक शांति भी मिलती है. साथ ही सूर्य अर्घ्य देने वाले के जीवन में प्रतिष्ठा, मान सम्मान और नेतृत्व क्षमता बढ़ती है. ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक, आपके जन्मकुंडली में अगर सूर्य दोष या अशुभ स्थिति है, तो सूर्य देव को नियमित रूप से अर्घ्य देने से वे सारी दोषें दूर हो जाती है. जिससे व्यक्ति के भाग्य की नई शुरूआत होती है और जीवन में प्रगति के नए मार्ग खुलते हैं.
छठ का अंतिम दिन ऊषा अर्घ्य
देशभर में आज छठ महापर्व का समापन हुआ. छठ व्रतियों ने नदी, तालाबों, छठ घाटों और जलाशयों में अहले सुबह पहुंचकर सूर्योदय के वक्त उगते हुए सूर्य देवता को बड़े ही भक्ति भाव के साथ अर्घ्य दिया. उदीयमान सूर्य अर्घ्य के दौरान छठ व्रतियों ने भगवान भास्कर और छठी मैया से अपने परिवार के लिए सुख समृद्धि और संतान की लंबी आयु, उत्तम स्वास्थ्य और जीवन में नई ऊर्जा की मनोकामना की. बता दें, उदीयमान सूर्य को अर्घ्य देने के साथ ही 4 दिवसीय कठिन तप और 36 घंटे का निर्जला व्रत का पारण (उपवास खत्म करना) किया जाता है, इसमें जिसमें प्रसाद के रूप में ठेकुआ, गुड़, केला, नारियल और मौसमी फल ग्रहण किए जाते है.
जानें, छठ पूजा के क्या है महत्व
छठ पर्व में 4 दिनों का विशेष महत्व होता है. जिसमें पहला दिन- नहाय खाय, दूसरे दिन- खरना, तीसरा दिन- भगवान भास्कर (सूर्य देवता) का संध्या अर्घ्य और चौथा दिन- उषा अर्घ्य यानी उगते हुए सूर्य देवता को अर्घ्य दिया जाता है. बता दें, छठ पूजा सूर्य देवता और छठी मैया की आराधना का पर्व है, इस पर्व को शुद्धता, आस्था और अनुशासन का प्रतीक माना जाता है. छठ पर्व में व्रती द्वारा पूरी निष्ठा और संयम के साथ भगवान भास्कर अर्घ्य देकर जीवन में सुख, समृद्धि और संतानों के कल्याण की कामना किया जाता है. लोक आस्था का यह महा पर्व प्रकृति, जल और सूर्य की उपासना से जुड़ा है, जो मनुष्य जीवन में ऊर्जा और सकारात्मकता के महत्व को प्रदर्शित है.









