'हिम्मत है तो खुद अपना मंच तैयार करें और लाखों भीड़ जुटाएं...'निशा भगत को अजय तिर्की ने दी चुनौती
आदिवासी हुंकार महारैली के मंच से निशा भगत को धकेलकर नीचे उतार दिए जाने मामले में अजय तिर्की ने कहा कि निशा सिर्फ सरना-ईसाई करना जानती है. अजय ने कहा कि प्रभात तारा मैदान में आयोजित हुंकार महारैली का संदेश समाज में अच्छा नहीं गया. इसके लिए जिम्मेदार मंच पर उपस्थित लोग ही हैं

Ranchi: प्रभात तारा मैदान में आयोजित आदिवासी हुंकार महारैली के दौरान आदिवासी नेत्री निशा भगत को अपमानित कर मंच से नीचे उतार दिए जाने का मामला अब तूल पकड़ा नजर आ रहा है. इस मामले में केंद्रीय सरना समिति के अध्यक्ष अजय तिर्की ने निशा भगत पर जमकर प्रहार किया है. निशा को चुनौती दी है और कहा है कि अगर उनमें हिम्मत है तो वह खुद अपना मंच तैयार करें और लाखों की भीड़ लेकर आए. अजय तिर्की ने कहा कि निशा भगत केवल सरना और ईसाई करना जानती है.
'जब से रघुवर दास से मिली है तब से...'
अजय तिर्की ने कहा कि समाज के लीडर्स को यह समझने की जरूरत है कि अगर मंच पर कोई आता है तो उसे सम्मान देना चाहिए. चाहे वह निशा भगत ही क्यों न हो. क्योंकि वह समाज की अगुवा है. प्रभात तारा मैदान में आदिवासी हुंकार रैली में जितने भी अगुवा लीडरशिप कर रहे थे वे समाज के नाम पर सिर्फ राजनीति कर रहे थे. ऐसे लोग समाज के नाम पर केवल राजनीतिक करना ही जानते हैं. निशा भगत को अड़े हाथों लेते हुए अजय ने कहा कि निशा भगत समाज के नाम में सिर्फ राजनीतिक करना जानती है. वह जब से रघुवर दास से मिली तब से वह हर जगह सिर्फ सरना-ईसाई...सरना-ईसाई ही कर रही है.
दम है तो खुद एक मंच तैयार करें और जुटाए भीड़- अजय तिर्की
चुनौती देते हुए उन्होंने कहा कि अगर दम है तो खुद जाकर एक मंच तैयार और बड़ा रैली कीजिए और उस रैली में जितना गाली देना है सरना-ईसाई करना है कीजिए. लेकिन किसी दूसरे के मंच में उसी मुद्दे पर बात करनी चाहिए जो मुद्दा वहां है. अजय तिर्की ने कहा कि मुद्दा कुड़मी समुदाय द्वारा एसटी का दर्जा की मांग के खिलाफ आंदोलन चल रहा है लेकिन इसके विरोध के चक्कर में लोग अपनी राजनीतिक रोटी सेंकने का काम कर रहे हैं. और कुछ लोग सरना-ईसाई कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि आदिवासी हुंकार महारैली का संदेश समाज में अच्छा नहीं गया है. इसके लिए मंच पर बैठ हुए लोग जिम्मेदार है. अजय तिर्की ने आगे यह भी बताया कि दीपावली के बाद समिति की बैठक होगी और आगे के आंदोलन की रूपरेखा तैयार होगी.
निशा के साथ आदिवासी हुंकार महारैली में क्या हुआ था ?
दरअसल, आपको बता दें, बीते दिन शुक्रवार (17 अक्तूबर 2025) को रांची के प्रभात तारा मैदान में कुड़मी समुदाय द्वारा आदिवासी दर्जा की मांग के विरोध में आदिवासी हुंकार महारैली का आयोजन किया गया था जिसमें लाखों की संख्या में आदिवासी समुदाय के लोग अलग-अलग जिलों से आकर जमा हुए थे. बताया जा रहा है कि कार्यक्रम के दौरान देर शाम समापन से पहले मंच पर देवकुमार धान जनता को संबोधित कर रहे थे तभी अचानक निशा भगत ने उनसे माइक छिन ली. और उनसे उलझ गई. इस दौरान मंच पर उपस्थित लोगों ने उसे धकेलकर नीचे उतार दिया.
रिपोर्ट- TANAY KHANDELWAL









