INDIGO संकट पर दिल्ली हाईकोर्ट का सख्त रुख, सरकार और DGCA से पूछा - कैसे बिगड़े हालात?
इंडिगो की लगातार रद्द हो रही उड़ानों पर दिल्ली हाईकोर्ट ने गंभीर रुख अपनाया है. अदालत ने केंद्र और DGCA से पूछा कि ऐसी स्थिति पैदा होने कैसे दी गई जिससे हजारों यात्री फंस गए. कोर्ट ने मुआवजे, अनुचित किराया वृद्धि और एयरलाइन की तैयारियों पर कड़े सवाल उठाए.

NEW DELHI: नई दिल्ली में इंडिगो की सैकड़ों उड़ानें रद्द होने और भारी देरी के बाद मामला दिल्ली हाईकोर्ट पहुंच गया. मुख्य न्यायाधीश देवेंद्र कुमार उपाध्याय और जस्टिस तुषार राव गेडेला की पीठ ने इसे एक गंभीर संकट बताते हुए कहा कि यह सिर्फ यात्रियों की परेशानी नहीं, बल्कि अर्थव्यवस्था को प्रभावित करने वाला मुद्दा है. अदालत ने यह भी पूछा कि दूसरी एयरलाइंस ने इस मौके पर किराया कैसे बढ़ा दिया.
सरकार और DGCA ने क्या कहा
सरकार की ओर से पेश एएसजी चेतन शर्मा ने बताया कि संकट की मुख्य वजह नए FDTL नियमों का सही तरीके से पालन न होना है. इंडिगो पर्याप्त पायलट भर्ती नहीं कर पाई और सॉफ्टवेयर व रोस्टरिंग सिस्टम में भी खामियां रहीं. DGCA ने एयरलाइन को कारण बताओ नोटिस जारी किया है और संचालन सुधारने के लिए कई अंतरिम छूटें दी हैं.
कमियों पर सख्त सवाल
अदालत ने कहा कि DGCA और मंत्रालय ने कदम उठाए हैं, लेकिन सवाल यह है कि संकट बनने से पहले इसे रोका क्यों नहीं गया. कोर्ट के अनुसार यात्रियों को एयरपोर्ट पर फंसा छोड़ दिया गया, बच्चों और बुजुर्गों को दिक्कतें हुईं और एयरलाइन कर्मियों ने कई जगह पर्याप्त मदद नहीं की. हाईकोर्ट ने DGCA के 2010 सर्कुलर के अनुसार मुआवजा नियमों का कड़ाई से पालन सुनिश्चित करने का निर्देश दिया.
जांच और जवाबदेही तय होगी
DGCA ने चार सदस्यीय समिति बनाई है जो उड़ानों में हुए व्यवधान की असली वजहों की पहचान करेगी. समिति मैनपावर प्लानिंग, रोस्टरिंग सिस्टम, FDTL अनुपालन और एयरलाइन की तैयारी का आकलन करेगी. अदालत ने कहा कि जवाबदेही तय की जाए और यात्रियों को हुए नुकसान की भरपाई के लिए सभी संभव उपाय लागू किए जाएं.









