दिल्ली ब्लास्ट में जूता बम इस्तेमाल होने का शक, खतरनाक TATP विस्फोटक के मिले ट्रेस
दिल्ली ब्लास्ट की जांच से जुड़ी एक बड़ी खबर सामने आयी है.ब्लास्ट की जांच कर रही टीम को ब्लास्ट स्पॉट पर कार की ड्राइविंग सीट से एक जूता मिला है, जिसमें मेटलनुमा सबस्टेंस पाया गया है..

DELHI : दिल्ली ब्लास्ट की जांच से जुड़ी एक बड़ी खबर सामने आयी है. मामले की छानबीन में जुटी जांच एजेंसी ने खुलासा किया है कि जैश-ए-मोहम्मद का आतंकी डॉ. उमर मोहम्मद एक शू बॉम्बर था, जिसने अपने जूते में छिपाए खतरनाक विस्फोटक TATP से हमले की घटना को अंजाम दिया. बताया जा रहा है कि ब्लास्ट की जांच कर रही टीम को ब्लास्ट स्पॉट पर कार की ड्राइविंग सीट से एक जूता मिला है, जिसमें मेटलनुमा सबस्टेंस पाया गया है..
NIA ने आतंकी डॉ. उमर को सुसाइड बॉम्बर माना
दिल्ली में लाल किले के पास आतंकी धमाके में सुरक्षा एजेंसियों को शू बम (जूता बम) के इस्तेमाल का शक है. जांच एजेंसियों को विस्फोट वाली कार से एक जूता मिला है. इसकी जांच में अमोनियम नाइट्रेट और TATP के ट्रेस मिले हैं. एजेंसियां इसे शुरुआती सुराग मानकर इस एंगल से भी जांच कर रही हैं. TATP एक बेहद खतरनाक और सेंसेटिव विस्फोटक माना जाता है.
TATP क्या होता है?
TATP का फुल फॉर्म Triacetone Triperoxide (ट्राएसीटोन ट्राइपेरऑक्साइड) है. यह दुनिया के सबसे खतरनाक और बेहद अस्थिर विस्फोटकों में से एक माना जाता है. आतंकी इसे इसलिए इस्तेमाल करते हैं क्योंकि इसे एसीटोन, हाइड्रोजन पेरऑक्साइड और एसिड जैसे आसान और घरेलू केमिकल्स से बनाया जा सकता है. यह वजन में बहुत हल्का होता है, लेकिन धमाका इतना ताकतवर करता है कि भारी नुकसान पहुंचा देता है. इसकी सबसे बड़ी बात यह है कि इसमें धातु नहीं होती, इसलिए इसे स्कैनर और मेटल डिटेक्टर से पकड़ना मुश्किल हो जाता है.
TATP की सबसे भयावह बात यह है कि यह मामूली झटके, रगड़ या थोड़ी सी गर्मी से भी फट सकता है. इसी वजह से इसे आतंकी दुनिया में “Mother of Satan” यानी ‘शैतान की मां’ कहा जाता है। इसका इस्तेमाल कई बड़े हमलों में हुआ है, जैसे 2005 के लंदन ब्लास्ट और 2016 ब्रसेल्स एयरपोर्ट अटैक. कई बार ISIS जैसे संगठनों ने भी इसी विस्फोटक का उपयोग किया है.
बता दें कि 10 नवंबर को दिल्ली धमाके में 13 लोगों की मौत हो गई थी और 24 से ज्यादा लोग जख्मी हैं. NIA ने बताया कि कार चला रहा डॉ. उमर उल नबी एक आत्मघाती हमलावर (सुसाइड बॉम्बर) था. यह पहली बार है, जब किसी सुरक्षा एजेंसी ने ऑफिशियल तौर पर इसकी पुष्टि की है. इससे यह तय हो गया है कि ब्लास्ट सुसाइड अटैक ही था.
उमर कब-कहां गया, रूट रीक्रिएट करने की तैयारी
वहीं अब सुरक्षा एजेंसियां उमर के पूरे मूवमेंट को रीक्रिएट करने की तैयारी में हैं. इसके लिए ब्लास्ट से पहले आतंकी का पूरा रूट मैप तैयार करेगी. इसमें वह ब्लास्ट से पहले कब और कहां-कहां गया था, इसे शामिल किया जाएगा.
रूट मैप को 50 से ज्यादा CCTV कैमरों में कैद हुई i20 कार के फुटेज के आधार पर क्रिएट किया जाएगा. इसके जरिए यह पता लगाया जाएगा कि फरीदाबाद से दिल्ली पहुंचने तक, क्या कोई व्यक्ति उससे मिला, उसका पीछा किया या उसकी मदद की, उमर ने NCR में कितने घंटे बिताए, यह समझने के लिए सभी बिंदुओं को जोड़ना बेहद जरूरी है.
धमाके वाली जगह के पास 9 एमएम की 3 गोलियां मिली
वहीं धमाके वाली जगह के पास मलबे से पुलिस को 9 एमएम की 3 गोलियां मिली हैं, जिनमें से दो जिंदा कारतूस हैं. मौके से कोई हथियार नहीं मिला, हालांकि जली हुई कार के पास सिर्फ गोलियां कैसे पहुंचीं, इसकी जांच की जा रही है.
यह गोलियां सिर्फ विशेष सुरक्षा यूनिट्स या परमिशन मिलने वाले लोग ही अपने पास रख सकते हैं. आम नागरिकों को इसे रखने की इजाजत नहीं है. वहीं मौके पर तैनात सुरक्षाकर्मियों से भी उनके हथियारों की जांच करने को कहा गया, लेकिन कोई भी कारतूस गायब नहीं मिला.









