स्वास्थ्य मंत्री के दावे फेल ! आयुष्मान आरोग्य मंदिर में मरीजों को नहीं मिल रहे भगवान
ग्रामीण और शहरी क्षेत्र में यह प्राथमिक उपचार केंद्र के रुप में बनाए गए थे लेकिन आज इन केंद्रों की हालात आपको चौंका देगी.

Ranchi: झारखंड स्वास्थ्य विभाग के मंत्री डॉ इरफान अंसारी के अनुसार राज्य में स्वास्थ्य व्यवस्था बेहतर हो रही है. मंत्री जी का दावा है कि राज्य के मरीजों को बाहर दूसरे राज्यों में इलाज कराने के लिए जाने की आवश्यकता नहीं होगी क्योंकि राज्य में बेहतर स्वास्थ्य व्यवस्था बहाल की जा रही है. लेकिन सरकार के इन दावों के बीच एक ऐसी तस्वीर सामने आई है जिसे देखकर आप हैरान रह जाएंगे.
राज्य में पहले हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर के नाम पर स्वास्थ्य केंद्र चलता था जिसका सरकार ने 2024 में नाम परिवर्तित कर उसे आयुष्मान आरोग्य मंदिर का नया नाम दिया. ग्रामीण और शहरी क्षेत्र में यह प्राथमिक उपचार केंद्र के रुप में बनाए गए थे लेकिन आज इन केंद्रों की हालात आपको चौंका देगी. हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर का नाम बदल दिया गया, सुविधाएं बढ़ा दी गई, लेकिन स्थिति अब भी नहीं बदल पाई है.
आयुष्मान आरोग्य मंदिर नाम में ही मंदिर है लेकिन मंदिर में जो भगवान होने चाहिए वह अब मरीजों को नहीं मिल रहे. चिकित्सकों को धरती का भगवान कहा जाता है. गंभीर स्थिति में मरीज अपना इलाज कराने चिकित्सक के पास जाते हैं. लेकिन आयुष्मान आरोग्य मंदिर में चिकित्सक की लापता है. ग्रामीण इलाकों में लोग इलाज कराने पहुंचते है तो दरवाजों में उन्हें ताला लटका मिल रहा है.
ऐसा लगा था जैसे यह हाल सिर्फ ग्रामीण क्षेत्र का ही होगा. लेकिन जब शहरी क्षेत्र के आरोग्य मंदिर पर नजर पड़ी तो यहां का हाल भी ऐसा ही मिला. दोपहर के 12:00 बज रहे थे लेकिन मेडिकल ऑफिसर अपने चेंबर में नहीं मिले. पूरा आरोग्य मंदिर ANM के सहारे चल रहा है. इन केंद्रों का हाल ऐसा है कि महिला शौचालय में भी ताला लटका दिया गया है.

जब इन तमाम असुविधाओं को लेकर सिविल सर्जन से सवाल पूछा गया, तो वे इन बातों से अंजान दिखे. इन्होंने मामले की जानकारी मिलते पर सभी मेडिकल ऑफिसर पर कड़ाई करने की बात कही. और कहा कि जो बात नहीं समझते हैं उनको हटाने के लिए विभाग को पत्र दिया जाएगा. विडंबना यह है कि सिर्फ रांची में 350 आयुष्मान आरोग्य मंदिर है. 2023 में यह फैसला लिया गया था कि हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर का नाम बदल जाएगा. जिसके बाद नाम बदल गया और सुविधाएं बढ़ा दी गई, लेकिन स्थिति अब भी पहले की बेहतर नहीं हो सकी है.
रिपोर्ट- तनय खंडेलवाल









