मात्र 50 हजार में दंपत्ति ने बेच दिया 2 माह का अपना बच्चा, CM हेमंत सोरेन ने लिया संज्ञान
मामले में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने त्वरित संज्ञान लेते हुए जिला डीसी से कार्रवाई के आदेश दिए है. वहीं, इस पूरे मामले पर सूबे के वित्त मंत्री राधाकृष्ण किशोर ने कहा कि मैं पलामू जा रहा हूं और खुद पूरे मामले से अवगत होउंगा.

Naxatra News Hindi
Ranchi Desk:गरीब की उम्मीदें भी चूर हो जाती है जब रोटी के लाले पेट में शोर मचाते है. हम ऐसा इसलिए कह रहे हैं क्योंकि कुछ ऐसा ही दिल को झकझोर देने वाली एक घटना झारखंड के पलामू जिले से सामने आई है. वहीं इस मामले में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने त्वरित संज्ञान लेते हुए जिला डीसी से कार्रवाई के आदेश दिए है. वहीं, इस पूरे मामले पर सूबे के वित्त मंत्री राधाकृष्ण किशोर ने कहा कि मैं पलामू जा रहा हूं और खुद पूरे मामले से अवगत होउंगा. उन्होंने कहा यह गंभीर मामला है सरकार पूरी चीजों पर नजर रख रही है.
दरअसल, गरीबी, भूख और मजबूरी के कारण एक दंपत्ति ने ऐसा कदम उठाया है जिसे सुनकर कोई सभ्य व्यक्ति या माता पिता का दिल सहम जाएगा और वे यह सोचने में मजबूर हो जाएंगे कि वर्तमान समय में समाज किस ओर आगे बढ़ रहा है. भला कोई माता पिता अपने कलेजे के टुकड़े जिनपर उनका पूरा अधिकार होता है उसके भरण-पोषण, उज्जवल भविष्य और जिंदगी के हर मोड़ पर साथ रहने को तैयार रहते हों वे खुद से अपने कलेजे के टुकड़े को कैसे अलग कर सकते हैं. कुछ ऐसा ही दिल को झकझोर देने वाला एक मामला जिले के लेस्लीगंज थानाक्षेत्र के लोटवा कामलकेडिया गांव से सामने आया है.
दो महीने का था बच्चा
आपको बता दें, एक दंपत्ति ने मात्र 50 हजार रुपए में अपने मासूम बच्चे को बेच दिया है. इधर, इस मामले के सामने आने और पूछताछ पर दंपत्ति ने स्वीकार किया है कि पेट की आग बुझाने और बीमारी का खर्च उठाने के लिए उन्होंने अपने कलेजे के टुकड़े जो सिर्फ 2 माह का था उसे बेच दिया है यह में पहले से 4 छोटे-छोटे बच्चे हैं. यह परिवार भूमिहीन और आवासहीन है. पूरे परिवार के इस वक्त वे पूर्व विधायक द्वारा बनवाए गए एक सरकारी शेड में रह रहे हैं जो अब पुराना और जर्जर हो गया है.
काम नहीं मिलने पर गांववालों से मांग कर खाता था परिवार
जिले लेस्लीगंज थानाक्षेत्र के लोटवा कामलकेडिया गांव में यह परिवार पिछले डेढ़ दशक से रह रहा है. पति रामचंद्र राम का घर उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर में है वह शुरू से पत्नी पिंकी के साथ इसी गांव में रहता है. दोनों गांव में रहकर मजदूरी करते हैं और जिस दिन मजदूरी नहीं मिलता है उस दिन वे गांव के अन्य लोगों से मांगकर अपना पेट पालते हैं. दंपति के पास भारतीय पहचान का आधार कार्ड तक नहीं है. जिस कारण इन्हें सरकारी राशन भी नहीं मिलता है और न ही अन्य कोई सरकारी योजना का ही वे लाभ ले पाते हैं. पिंकी ने बताया कि उनके पिताजी ने उन्हें आधा कट्ठा जमीन दी है मगर पैसे की तंगी से वे उस जमीन पर घर तक नहीं बना पा रहे हैं.
पिता ने रहने के लिए दिया है आधा कट्ठा जमीन
पिंकी के पति रामचंद्र राम ने बताया कि वह मजदूरी कर परिवार का भरण-पोषण करते हैं सरकारी शेड में रहने से पहले वे ससुराल में पत्नी और उसके परिवारवालों के साथ रहता था बाद में ससुराल वालों ने उन्हें आधा कट्ठा जमीन देकर घर से उन्हें अलग किया. जिसपर वे झोपड़ी बनाकर रह रहे थे लेकिन बारिश की वजह से उनका झोपड़ीनुमा घर तहस-नहस हो गया जिसके बाद वे सरकारी शेड में आ गए. वहीं पिंकी ने बताया कि रक्षाबंधन के दिन उसने एक नवजात बच्चा को जन्म दिया. जिसके बाद वह बीमार हो गई. बारिश के कारण पति काम में नहीं जा पा रहा था जिससे उनके पास न खाने लिए पैसे थे और न ही इलाज के लिए.
जिसके बाद दंपत्ति ने आपसी राय-मशवारा किया और अपने नवजात बच्चे को 50000 रुपए में लातेहार के एक दंपत्ति को बेचना का निर्णय लिया. खरीदने वाला दंपति का लोटवा चटकपुर में बहन का घर है. उन्हीं की मध्यस्थता कर पचास हजार में सौदा तय किया था. वहीं इस मामला के प्रकाश में आने के बाद CWC की टीम दंपत्ति के यहां पहुंची और टीम ने उन्हें बेचे गए बच्चे को वापस दिलाने और अन्य 4 बच्चों की पढ़ाई और भरण-पोषण की व्यवस्था करेंगे. पिंकी ने यह भी बताया कि उसके पिताजी ने उन्हें आधा कट्ठा जमीन भी दी है लेकिन पैसे की तंगी के कारण उस जमीन पर वे घर नहीं बना पाए हैं.









