चाईबासा में बच्चे का शव थैले में ले जाने का मामला: जांच रिपोर्ट में सामने आए कई अहम तथ्य
चाईबासा में बच्चे का शव थैले में ले जाने मामले से संबंधित वायरल वीडियो की जांच रिपोर्ट सदर अनुमंडल पदाधिकारी ने डीसी को सौंप दिया है. जिसमें बताया गया है कि बच्चे की उम्र 4 वर्ष नहीं बल्कि मात्र 4 माह था. फिवर और लूज मोशन की शिकायत पर बच्चे को अस्पताल में भर्ती कराया गया था.

West Singhbhum: चाईबासा सदर अस्पताल से परिजनों द्वारा बच्चे का शव थैले में ले जाने से संबंधित वायरल वीडियो मामले में जांच पूरी कर ली गई है. मामले में चाईबासा सदर के अनुमंडल पदाधिकारी द्वारा जांच की गई. जिसके बाद अब पश्चिमी सिंहभूम के जिला दंडाधिकारी सह डीसी (उपायुक्त) को जांच रिपोर्ट सौंप दी गई.
4 साल नहीं मात्र 4 माह का था मृत बच्चा
जांच रिपोर्ट में स्पष्ट किया गया है कि मृत बच्चे का नाम कृष्ण चातोम्बा (पिता– डिम्बा चातोम्बा), ग्राम बालजोड़ी, नोवामुण्डी है. वायरल वीडियो में बच्चे की उम्र 4 वर्ष बताई जा रही थी, जो तथ्यात्मक रूप से गलत पाई गई है. जांच में यह सामने आया कि मृत बच्चा मात्र चार माह का था.
बच्चे को थी फिवर और लूज मोशन की शिकायत
आगे बताया गया है कि बच्चे को 18 दिसंबर 2025 की शाम 5:15 बजे सदर अस्पताल चाईबासा में फिवर और लूज मोशन की शिकायत पर भर्ती कराया गया था. बच्चे को पीडियाट्रिक वार्ड में रखा गया और उपचार के दौरान जांच में वह मलेरिया पॉजिटिव पाया गया. बेहतर इलाज के लिए बच्चे को एमजीएम अस्पताल, जमशेदपुर रेफर किए जाने का प्रस्ताव रखा गया, लेकिन पिता द्वारा वहीं इलाज कराने की इच्छा जताई गई.
शव वाहन अस्पताल पहुंचता इससे पहले ही निकल चुके थे पिता
इलाज के दौरान 19 दिसंबर 2025 को अपराह्न 1:15 बजे बच्चे की मृत्यु हो गई. मृत्यु के बाद शव वाहन की व्यवस्था के लिए संपर्क किया गया, लेकिन एक शव वाहन मनोहरपुर में होने और दूसरे के दुर्घटना ग्रस्त होने के कारण विलंब की स्थिति बनी. परिजनों को प्रतीक्षा करने की सूचना दी गई थी. करीब अपराह्न 4:40 बजे शव वाहन अस्पताल पहुंचा, लेकिन तब तक बच्चे के पिता शव लेकर अस्पताल से जा चुके थे.
हड़बड़ी में पिता द्वारा थैले में ले जाया गया शव !
जांच में यह भी सामने आया कि वार्ड में उस दिन कुल 33 बच्चे भर्ती थे और मात्र दो नर्स तैनात थीं. अन्य मरीजों की देखभाल के क्रम में यह स्पष्ट नहीं हो सका कि बच्चे के पिता किस समय शव लेकर अस्पताल से निकल गए. बच्चे के पिता के पास मोबाइल फोन नहीं होने के कारण उनसे संपर्क भी नहीं किया जा सका. रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि यदि परिजन शव वाहन का इंतजार करते, तो शव वाहन उपलब्ध हो जाता. हड़बड़ी में पिता द्वारा शव को थैले में ले जाया गया.
हालांकि, भविष्य में इस प्रकार की घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो, इसके लिए एक क्षतिग्रस्त शव वाहन की शीघ्र मरम्मत कराने का प्रस्ताव दिया गया है. वहीं, प्रशासन ने मामले को गंभीर मानते हुए आवश्यक सुधारात्मक कदम उठाने का आश्वासन दिया है.









